भारतीय राजनीति के विकास का अनूठा अध्ययन करने वाली इस पुस्तक का पहला वाक्य है; अगर ‘आधुनिकता’ हमारे समय की केंद्रीय प्रवर्ति है, तो उसकी चालक शक्ति है ‘ राजनीतिकरण’। पुस्तक में दिखाया गया है कि हजारों साल पुराना एक पारंपरिक समाज किस तरह लोकतान्त्रिक राजनीति के हाथों बादल रहा है। भारतीय राजनीति को संजख्ने कि पश्चिम प्रदत्त धारणाओं का खंडन करते हुए भारतिए समाज कि शर्तों पर रची गयी एक सर्वथा नवीन और सम्पूर्ण निगाह पेश करने वाले इस क्लासिक ग्रंथ में भारतीय समाज के उन पहलुओं कि शिनाख्त कि गयी है जो आधुनिकीकरण के साथ सकारात्मक तादात्म्य रखते हैं,और उन पहलुओं कि तरफ भी इशारा किया गया है जो आधुनिकीकरण कि प्रकिया में बाधक हैं।