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Bhawaniprasad Mishra Sanchayan

Hardbound
Hindi
9789387919358
2nd
2024
488
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भवानीप्रसाद मिश्र संचयन -

भवानीप्रसाद मिश्र दूसरे तार सप्तक के एक प्रमुख कवि हैं। मिश्र जी विचारों, संस्कारों और अपने कार्यों से पूर्णतः गाँधीवादी हैं। गाँधीवाद की स्वच्छता, पावनता और नैतिकता का प्रभाव और उसकी झलक भवानीप्रसाद मिश्र की कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह 'गीत-फ़रोश' अपनी नयी शैली, नयी उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यन्त लोकप्रिय हुआ। भवानीप्रसाद मिश्र उन गिने-चुने कवियों में थे जो कविता को ही अपना धर्म मानते थे और आमजनों की बात उनकी भाषा में ही रखते थे। वे 'कवियों के कवि' थे। मिश्र जी की कविताओं का प्रमुख गुण कथन की सादगी है। बहुत हल्के-फुल्के ढंग से वे बहुत गहरी बात कह देते हैं जिससे उनकी निश्छल अनुभव सम्पन्नता का आभास मिलता है। इनकी काव्य-शैली हमेशा पाठक और श्रोता को एक बातचीत की तरह सम्मिलित करती चलती है। मिश्र जी ने अपने साहित्यिक जीवन को बहुत प्रचारित और प्रसारित नहीं किया। मिश्र जी मौन निश्छलता के साथ साहित्य-रचना में संलग्न थे।

यह संचयन भवानीप्रसाद मिश्र की विविध रचनाओं के साथ ही उनकी प्रतिनिधि कविताओं को भी पढ़ने का सुख देगा।

अमिताभ मिश्र (Amitabh Mishra)

अमिताभ मिश्र 'भवानी प्रसाद मिश्र संचयन' का सम्पादन उनके सबसे बड़े पुत्र और शास्त्रीमय गायक अमिताभ मिश्र ने किया है। पुस्तक में अमिताभ मिश्र की इकतालीस पृष्ठों की भूमिका के रूप में जिन प्रसंग

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