केदारनाथ सिंह संचयन - केदारनाथ सिंह अपनी भोजपुरी भाषा की अनुगूँजों से सम्पृक्त हिन्दी के अप्रतिम आधुनिक कवि हैं। प्रगतिशील लेखक आन्दोलन के अग्रणी कवि के रूप में आपने वंचित समाज को विशिष्ट पहचान और गरिमा दी। यथार्थ और फ़न्तासी, छन्द और छन्देतर की एक सूक्ष्म बनावट आपके काव्यशिल्प को एक विरल चमक और रंग देती है। काल और स्थानबोध की दुर्लभ छवियों में रचा-बसा कवि का लेखन बहुध्वन्यात्मक, बहुरंगी और बहुआयामी है। बिम्ब सृजन में अपनी अद्वितीय अभिव्यक्ति के लिए चर्चित डॉ. सिंह का अन्तर्जगत जातीय स्मृतियों से बनकर आधुनिक हुआ है। केदारनाथ सिंह की कविता अपनी विलक्षणता में दृश्यात्मक, लोकगल्प के आस्वाद में पगी, भौतिक-अभौतिक जगत की खोज-ख़बर लेती, नाट्यतत्त्वों से युक्त, सजल भाषा में दीप्त है। डॉ. सिंह आधुनिक सृजनशीलता और ग्रामीण जातीय चेतना की अनुभव सन्धि से कविता का नया सौन्दर्यशास्त्र रचते ऐसे कवि हैं, जिनके लिखने में बोलने की आवाज़ केन्द्रीय है। जीवन की नैसर्गिक गरिमा के पक्षधर कवि डॉ. केदारनाथ सिंह की कविता हमारे समय की सर्वाधिक विश्वसनीय पुकार है। पाठकों को यह चयन सिर्फ़ किताब नहीं अपितु आत्मीय सहचर की अनुभूति देगा।
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