Shabda Samaya Aur Sanskriti

Paperback
Hindi
8126303816
4th
2015
120
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शब्द, समय और संस्कृति -

किसी बड़े लेखक की शक्ति और सामर्थ्य उसकी इस क्षमता पर निर्भर होती है कि वह किसी पाठक के विश्वास को विचलित कर दे। कहा जा सकता है कि इस आधुनिक प्रतिमान के आधार पर, जहाँ सिद्धान्त और कला में एक अन्तहीन संघर्ष चलता रहता है, डॉ. सीताकान्त महापात्र भारत के समकालीन महान लेखकों में से एक हैं।

इस संग्रह-शब्द, समय और संस्कृति के निबन्ध साक्षी हैं कि सीताकान्त महापात्र के रचना-कर्म और चिन्तन में भारतीय मिथकीय परम्परा तथा भक्ति-साहित्य, यूरोपीय आधुनिकता और उत्तर-आधुनिकतावाद तथा अपने गृह-प्रदेश उड़ीसा के ग्रामांचल, लोक-जीवन एवं लोक-साहित्य का महासंगम है। अपनी सर्जनात्मक वैचारिकता के माध्यम से उन्होंने आधुनिक भारतीय साहित्य और चिन्तन को एक नया लोकाचार और अर्थ दिया है, एक ऐसी सृजन-संस्कृति दी है जिसमें औदात्य और पार्थिवता समान रूप से विद्यमान है । यथार्थ के गझिन और गतिशील रूपों की अभिव्यक्ति के साथ ही इन निबन्धों में सर्जनात्मक तनाव की दीर्घकालिकता, विविधता और निरन्तरता भी सहज ही मौजूद है।

'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित सीताकान्त महापात्र के गम्भीर चिन्तनपरक वैचारिक निबन्धों का यह संग्रह हिन्दी के पाठकों के लिए पहली बार प्रस्तुत है।

श्यामदत्त पालीवाल (Shyamdutt Paliwal )

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सीताकान्त महापात्र (Sitakant Mahapatra )

सीताकान्त महापात्र आधुनिक भारतीय कविता के समर्थ कवि एवं अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त मनीषी विद्वान । जन्म : सन् 1937 में ओड़िशा में । उत्कल, इलाहाबाद तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में शिक्

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