Nibandhon Ki Duniya : Pratapnarayan Mishr

Nirmala Jain Author
Hardbound
Hindi
9789350721636
1st
2012
364
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निबन्धों की दुनिया - प्रतापनारायण मिश्र -
माना गया है कि हिन्दी गद्य और पद्य लिखने में हरिश्चन्द्र जैसे तेज़, तीख़े और बेधड़क थे, प्रतापनारायण भी वैसे ही थे। दूसरे लोग बहुत सोच-समझकर और बड़ी चेष्टा से जो ख़ूबियाँ अपने गद्य में पैदा करते थे, वह प्रतापनारायण मिश्र को सामने पड़ी मिल जाती थी। उनका सर्वाधिक मुखर साहित्यिक रूप उनके निबन्धों में ही मिलता है। इस चयन के रूप में उनके निबन्धों की दुनिया का सशक्त विशिष्ट और प्रतिनिधि रूप सामने लाया गया है। बानगी के लिए उनके कुछ निबन्धों का नाम लिया जा सकता है, जैसे 'भों', 'पौराणिक गूढ़ार्थ', 'हो ओ ओ ओ ली है', 'मुच्छ', 'बज्रमूर्ख' इत्यादि। 'मुच्छ' उनका दिलचस्प निबन्ध है।
मिश्र जी की लेखनी देशदशा, समाज-सुधार, नागरी-हिन्दी-प्रचार, साधारण मनोरंजन आदि सब विषयों पर चलती थी। यद्यपि उनकी प्रवृत्ति हास्य-विनोद की ओर ही अधिक रहती थी। मिश्र जी के ऐसे अनेक निबन्ध हैं जिन्हें सामाजिक-सांस्कृतिक कहा जा सकता है। इन निबन्धों के विषय नारी, पतिव्रता, रिसवत (रिश्वत), ख़ुशामद, भेड़िया धसान, बाल्य विवाह आदि हैं। इस दृष्टि से भी उनके निबन्धों को इस चयन में स्थान मिला है। उनका एक बहुत ही दिलचस्प लेख है- 'यह तो बतलाइये'। भिगोभिगोकर मारने वाली शैली में लिखा गया है। पाठक मानेंगे कि अपनी सोच, दृष्टि, और कथ्य के साथ-साथ रवानगी से समृद्ध भाषा के कारण यह उनके महत्त्वपूर्ण निबन्धों में गिना जा सकता है। संस्कृत, अरबी, फ़ारसी और अंग्रेज़ी के शब्दों को भी मिश्र जी सहज ही आने देते थे-शर्त यह कि उनका प्रचलन जनता में हो। वस्तुतः वे भाषाओं का सम्बन्ध जन-जीवन के साथ देखना चाहते थे। पाठक पायेंगे कि उनकी भाषा एकदम प्रवाहमान यानी रवानगी से लबरेज़ है। कुल मिलाकर यह चयन प्रतापनारायण मिश्र और हिन्दी साहित्य के भारतेन्दुकालीन निबन्धों की उत्कृष्ट दुनिया का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम है। अपने समय के लेखन और चिन्तन के व्यापक फलक को अपने में समोए इस चयन को पाठक निश्चित रूप से स्वागत के योग्य पायेंगे।

निर्मला जैन (Nirmala Jain)

डॉ. निर्मला जैन - जन्म : दिल्ली, 1932।शिक्षा : एम. ए., पीएच.डी., डी.लिट्., दिल्ली विश्वविद्यालय।अध्यापन : 1956 से 1970, स्थानीय लेडी श्रीराम कालेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष।1970-81, दिल्ली विश्वविद्यालय, ( दक्षिण प

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निर्मला जैन (Nirmala Jain)

डॉ. निर्मला जैन - जन्म : दिल्ली, 1932।शिक्षा : एम. ए., पीएच.डी., डी.लिट्., दिल्ली विश्वविद्यालय।अध्यापन : 1956 से 1970, स्थानीय लेडी श्रीराम कालेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष।1970-81, दिल्ली विश्वविद्यालय, ( दक्षिण प

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