Nibandhon Ki Duniya : Dr. Ramvilas Sharma

Hardbound
Hindi
9789350000298
2nd
2017
232
If You are Pathak Manch Member ?

डॉ. रामविलास शर्मा - निबन्धों की दुनिया -
हिन्दी आलोचना में डॉ. रामविलास शर्मा का योगदान जितना प्रभूत और विस्मयकर है, उनकी स्थापनाएँ उतनी ही विवादास्पद हैं। यह रामविलास शर्मा का आत्मबल था कि उन्होंने साहित्य और विचार की किसी भी धारा के साथ समझौता नहीं किया और सम्पूर्ण मौलिकता के साथ विवेचन और विश्लेषण में लगे रहे। इसीलिए रामविलास शर्मा के निबन्ध बहुत ध्यान से पढ़े जाने की माँग करते हैं। उनकी दर्जनों पुस्तकों का अवगाहन करते हुए रामेश्वर राय ने विशद विवेक और बेहद सावधानी से ऐसे निबन्धों का चयन किया है जो रामविलास जी की आलोचना दृष्टि का प्रतिनिधित्व तो करते ही हैं, हिन्दी साहित्य के प्रमुख कृतिकारों के भावलोक के विभिन्न पहलुओं को नये परिप्रेक्ष्य में समझने के नये औज़ार भी प्रस्तुत करते हैं। इन निबन्धों में कालिदास से ले कर मुक्तिबोध और शमशेर तक का गहरा विवेचन है। डॉ. रामविलास शर्मा प्रतिबद्ध मार्क्सवादी थे और उन्होंने साहित्य की समस्याओं पर इसी दृष्टि से विचार किया है, पर जातीय संस्कृति और जातीय परम्पराओं की कीमत पर नहीं। इस प्रक्रिया में वे मार्क्सवाद का अपना संस्करण भी पेश करते हैं, जो अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण और विचारणीय है। भारतेन्दु, प्रेमचन्द और निराला रामविलास जी के प्रिय रचनाकार हैं, क्योंकि ये तीनों ही जनता के लेखक थे। इन तीन लेखकों के विवेचन के माध्यम से ही डॉ. रामविलास शर्मा की आलोचना दृष्टि का विकास हुआ। इस संकलन में 'चाँद' के अक्टूबर 1984 अंक में प्रकाशित रामविलास जी का पहला प्रकाशित लेख भी, जो निराला की कविता पर है, शामिल है। रामविलास शर्मा के इन निबन्धों को उनकी अनूठी भाषा-शैली और आक्रामक तेवर के लिए, लम्बे समय तक याद किया जायेगा।

निर्मला जैन (Nirmala Jain)

डॉ. निर्मला जैन - जन्म : दिल्ली, 1932।शिक्षा : एम. ए., पीएच.डी., डी.लिट्., दिल्ली विश्वविद्यालय।अध्यापन : 1956 से 1970, स्थानीय लेडी श्रीराम कालेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष।1970-81, दिल्ली विश्वविद्यालय, ( दक्षिण प

show more details..

रामविलास शर्मा (Ramvilas Sharma)

डॉ. रामविलास शर्मा (10 अक्टूबर, 1912- 30 मई, २०००) आधुनिक हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध आलोचक, निबंधकार, विचारक एवं कवि थे। व्यवसाय से अंग्रेजी के प्रोफेसर, दिल से हिंदी के प्रकांड पंडित और महान विचार

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

Related Books

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter