Smriti-Shesh : Smaran Ka Samaj-Vigyan (CSDS)

Hardbound
Hindi
9789355183590
1st
2022
472
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आधुनिक काल में प्रिंट-तकनीक, बुर्जुआ समाज के उभार तथा पत्र- पत्रिकाओं के नियमित प्रकाशन के बाद व्यक्ति या घटना का स्मरण आध्यात्मिकता के बजाय एक सेकुलर कर्म बनता गया है। इस दौरान श्रद्धांजलि लेख पढ़ने वाले पाठकों का एक समर्पित वर्ग उभरा है। लेकिन आमतौर पर श्रद्धांजलि- लेखन का अधिकांश संसार मुख्यतः उच्च वर्ग और सामाजिक रूप से गतिशील लोगों तक सीमित रहा है। उसका मौजूदा स्वरूप उच्च वर्गीय या अभिजन संस्कृति के पक्ष में खड़ा नज़र आता है क्योंकि उसमें केवल उपलब्धियों से भरा, महत्त्वपूर्ण और विलक्षण जीवन ही उल्लेख के क़ाबिल माना जाता है। प्रस्तुत पुस्तक श्रद्धांजलि-लेखन के इस रूढ़ साँचे की जगह उसका एक वैकल्पिक प्रारूप पेश करती है। अख़बारों और व्यावसायिक पत्रिकाओं की गुलाबी श्रद्धांजलि के वरअक्स व्यक्ति का यह स्मरण संबंधित व्यक्तित्व को विमर्श के समकालीन लोक में अवस्थित करते हुए विमर्श के क्षेत्र में उसके द्वारा विकसित किये गये नये परिप्रेक्ष्यों तथा सूत्रीकरणों पर ज़्यादा ध्यान देता है। श्रद्धांजलि का यह स्वरूप दिवंगत के कृतित्व और चिंतन को सामूहिक स्मृति की एक समृद्धकारी विरासत के रूप में देखना चाहता है।

नरेश गोस्वामी (Naresh Goswami)

नरेश गोस्वामी

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