Kavyabhasha : Rachnatmak Sarokar

Hardbound
Hindi
9789352296521
1st
2017
152
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‘काव्यभाषा: रचनात्मक सरोकार’ एक ऐसी विशिष्ट कृति है, जिसमें ‘काव्यभाषा’ को ही काव्य-रचना-प्रक्रिया का मूलाधार माना गया है। कारण-भाषा बिना रचनाकार की विशिष्ट अनुभूति ‘गूँगे के गुड़ के स्वाद’ के समान है। लेखक यह भी स्वीकार करता है कि विशिष्ट संवेदनात्मक अनुभूति जब अभिव्यक्ति के लिए आकुल-व्याकुल होती है तब रचनाकार की भाषा स्वयमेव उसकी सहायता के लिए प्रस्तुत हो जाती है। किन्तु अलग रहकर नहीं अपितु रचनात्मक अनुभूति से पूर्णतया पगी होकर। अर्थात् अभिव्यक्ति के इस धरातल पर अनुभूति और भाषा को अलगाया नहीं जा सकता। निश्चय ही प्रस्तुत काव्यभाषा की पहचान और व्याख्या का मानक बनेगी।

राजमणि शर्मा (Rajmani Sharma)

प्रो. राजमणि शर्मा 2 नवम्बर, 1940 को लम्भुआ, सुल्तानपुर (उ.प्र.) गाँव की माटी में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा के पश्चात् काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी), भाषाविज्ञान में द्विवर्षीय स

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