Nibandhon Ki Duniya : Gajanan Madhav Muktibodh

Hardbound
Hindi
9789350004241
2nd
2009
188
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निबन्धों की दुनिया - गजानन माधव मुक्तिबोध -
इस पुस्तक में मेरी अन्तर्यात्रा में पड़ने वाले कुछ प्रदेश हैं। यात्रा के लिए निकलती रही है बुद्धि, पर हृदय को भी साथ लेकर अपना रास्ता निकालती हुई बुद्धि जहाँ कहीं मार्मिक या भावाकर्षक स्थलों पर पहुँची है, वहाँ हृदय थोड़ा-बहुत रमता अपनी प्रवृत्ति के अनुसार कुछ कहता गया है। इस प्रकार यात्रा के श्रम का परिहार होता रहा है।
बुद्धि-पथ पर हृदय भी अपने लिए कुछ-न-कुछ पाता रहा है।

निर्मला जैन (Nirmala Jain)

डॉ. निर्मला जैन - जन्म : दिल्ली, 1932।शिक्षा : एम. ए., पीएच.डी., डी.लिट्., दिल्ली विश्वविद्यालय।अध्यापन : 1956 से 1970, स्थानीय लेडी श्रीराम कालेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष।1970-81, दिल्ली विश्वविद्यालय, ( दक्षिण प

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कृष्णदत्त शर्मा (Krishnadutt Sharma)

जन्म: 1942 कम्पिल, ज़िला फ़र्रुखाबाद (उ.प्र.) में उच्च शिक्षा इलाहाबाद और दिल्ली में 1971-83 हिन्दी माध्यम कार्यान्वयन निर्देशालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) में सहायक निदेशक, फिर 1988-88 वहीं संयुक्त निदेशक 1

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गजानन माधव मुक्तिबोध (Gajanan Madhav Muktibodh )

गजानन माधव मुक्तिबोध जन्म: 13 नवम्बर, 1917, श्योपुर (ग्वालियर)।शिक्षा: नागपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर । एक प्राध्यापक के रूप में उज्जैन, शुजालपुर, इन्दौर, कलकत्ता, मुम्बई, बेंगलु

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