हेमवती नन्दन बहुगुणा लगभग पाँच दशकों तक भारत के राजनीतिक क्षितिज पर छाये रहे । राष्ट्रभक्ति और सर्वोत्तम भारतीय मूल्यों से परिपूर्ण उनका जीवन निजी और सार्वजनिक स्तर पर सदैव चुनौतियों से भरा रहा। उन्होंने कभी भी अपने सिद्धान्तों के साथ समझौता नहीं किया, और चाहे वह सत्ता में रहे हों या विपक्ष में, पराजय से कभी हताश नहीं हुए। देश के हित में स्वयं को मिटा देने वाले हेमवती नन्दन बहुगुणा हमेशा सत्य के साथ खड़े रहे।
हेमवती नन्दन बहुगुणा की पुत्री रीता बहुगुणा जोशी और रामनरेश त्रिपाठी द्वारा लिखित इस पुस्तक में कई मायनों में बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी इस राजनेता के जीवन और कृतित्व को प्रामाणिकता के साथ दिखाने का भरसक प्रयास किया गया है। यह उम्मीद की जाती है कि यह पुस्तक स्वतन्त्र भारत की भावी पीढ़ी को हेमवती नन्दन बहुगुणा के समय की राजनीति, समाज, इतिहास और उनमें व्याप्त अन्तर्विरोधों से अवगत कराने का एक माध्यम बनेगी ।
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