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Siddhant Aur Adhyayan

Paperback
Hindi
9789362878397
1st
2024
304
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सिद्धान्त और अध्ययन - मेरे ‘नवरस' में अन्य अन्य काव्यांगों का वर्णन केवल प्रसंग वश ही हुआ है। यह पुस्तक और इसका दूसरा भाग-'काव्य के रूप' इस दृष्टि से लिखे गये हैं कि विद्यार्थियों को काव्यांगों, रस, रीति, लक्षणा, व्यंजना, अलंकारों आदि का सामान्य परिचय हो जाये और उनका काव्य में स्थान समझ में आ जाये। उसी के साथ वे वर्तमान साहित्यिक समस्याओं और वादों से भी अवगत हो जायें। इनमें पूर्व और पश्चिम के मतों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया है। किन्तु इनमें वर्णित सिद्धान्तों का (कम-से-कम पहले भाग का) मूल स्रोत भारतीय साहित्य-शास्त्र है। समालोचना के प्रकार और सिद्धान्त अवश्य विदेशी परम्परा से प्रभावित हैं। पहले भाग में काव्य के सिद्धान्त हैं और उन सिद्धान्तों को भारतीय साहित्य के अध्ययन से उदाहरण देकर पुष्ट किया गया है। दूसरे भाग में काव्य के विभिन्न रूपों का वर्णन है। इसमें उनके सैद्धान्तिक विवेचन के साथ उनका हिन्दी भाषा में विकास भी दिखाया गया है। ये दोनों भाग मिलकर साहित्यालोचन का पूरा क्षेत्र व्याप्त कर लेते हैं। सिद्धान्त और अध्ययन में भारतीय साहित्य-सिद्धान्तों के दिग्दर्शन के साथ पाश्चात्य विद्वानों के मतों का यथेष्ट निरूपण है। सिद्धान्त और अध्ययन वास्तव में बाबूजी के संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेज़ी साहित्य-सिद्धान्तों के गम्भीर अध्ययन का सुपरिणाम है। बाबूजी की भारतीय साहित्य-चिन्तना पर श्रद्धा थी, गर्व था किन्तु पाश्चात्य मत-सिद्धान्तों की महत्ता एवं प्रेरणा को भी वे अस्वीकार नहीं कर सके; इनकी ओर उनका सजग अनुराग था। इसी कारण इस पुस्तक में प्राचीन सिद्धान्तों पर नवीन आलोक डालने तथा नवीन सिद्धान्तों का भी समावेश करने की उनकी समन्वयवादी प्रवृत्ति रही । यह पुस्तक जहाँ लेखकों, कवियों तथा उच्च श्रेणी के विद्यार्थियों के लिए विशेष उपयोगी है वहाँ आलोचना-साहित्य के अध्येता और मर्मज्ञ भी इससे यथोचित लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
- इसी पुस्तक से

बाबू गुलाबराय (Babu Gulab Rai)

बाबू गुलाबराय का जन्म इटावा, उत्तर प्रदेश में हुआ । उनके पिता श्री भवानी प्रसाद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनकी माता भी कृष्ण की उपासिका थीं और सूर, कबीर के पदों को तल्लीन होकर गाया करती

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