Babu Gulab Rai
बाबू गुलाबराय का जन्म इटावा, उत्तर प्रदेश में हुआ । उनके पिता श्री भवानी प्रसाद धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। उनकी माता भी कृष्ण की उपासिका थीं और सूर, कबीर के पदों को तल्लीन होकर गाया करती थीं। माता-पिता की इस धार्मिक प्रवृत्ति का प्रभाव बाबू गुलाबराय जी पर भी पड़ा। गुलाबराय जी की प्रारम्भिक शिक्षा मैनपुरी में हुई। तहसीली स्कूल के पश्चात उन्हें अंग्रेज़ी शिक्षा के लिए जिला विद्यालय भेजा गया। एंट्रेंस परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने आगरा कॉलेज से बी.ए. की परीक्षा पास की। दर्शनशास्त्र में एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात गुलाबराय जी छतरपुर चले गये और वहाँ के महाराज के निजी सचिव हो गये। इसके बाद वे वहाँ दीवान और चीफ़ जज भी रहे। छतरपुर महाराजा के निधन के पश्चात गुलाबराय जी ने वहाँ से अवकाश ग्रहण किया और आगरा आकर रहने लगे। आगरा आकर उन्होंने सेंट जॉन्स में हिन्दी विभागाध्यक्ष के पद पर कार्य किया। गुलाबराय जी अपने जीवन के अन्तिम काल तक साहित्य - साधना में लीन रहे । उनकी साहित्यिक सेवाओं के फलस्वरूप आगरा विश्वविद्यालय ने उन्हें डी. लिट. की उपाधि से सम्मानित किया । सन् 1963 में आगरा में उनका स्वर्गवास हो गया ।
गुलाबराय जी ने मौलिक ग्रन्थों की रचना के साथ-साथ अनेक ग्रन्थों का सम्पादन भी किया है । उनकी कृतियाँ इस प्रकार हैं- आलोचनात्मक रचनाएँ: नवरस, हिन्दी साहित्य का सुबोध इतिहास, हिन्दी नाट्य विमर्श, आलोचना कुसुमांजलि, काव्य के रूप, सिद्धान्त और अध्ययन आदि; दर्शन सम्बन्धी : कर्तव्य शास्त्र, तर्क शास्त्र, बौद्ध धर्म, पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास, भारतीय संस्कृति की रूपरेखा; निबन्ध-संग्रह : प्रकार प्रभाकर, जीवन- पशु, ठलुआ क्लब, मेरी असफलताएँ, मेरे मानसिक उपादान आदि; बाल साहित्य : विज्ञान वार्ता, बाल प्रबोध आदि; सम्पादन ग्रन्थ : सत्य हरिश्चन्द्र, भाषा-भूषण, कादम्बरी कथा - सार आदि ।
इनके अतिरिक्त गुलाबराय जी की बहुत-सी स्फुट रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं ।