Machhli Machhli Kitna Pani

Pratap Sehgal Author
Paperback
Hindi
9789350007204
1st
2021
110
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कम ही लोग जानते होंगे कि मैंने अपनी पहली कहानी 1961 में लिखी थी। उन दिनों बेकारी की समस्या आज से कहीं ज़्यादा फ़िक्न पैदा करने वाली थी । मैं तब नवीं कक्षा में पढ़ता था और दो साल बाद मुझे भी नौकरी के दंगल में कूदना था । शायद तभी मुझे बेकारी की समस्या कुछ ज़्यादा गम्भीरता से नज़र आने लगी थी । मेरी पहली कहानी का विषय बेकारी ही था । एक बेकार युवा पर लिखी गयी उस कहानी का शीर्षक भी 'बेकार' था । एक सज्जन ने मुझे उस कहानी को वीर अर्जुन में भेजने का सुझाव दिया । मैंने भेज दी और वह वीर अर्जुन के साप्ताहिक अंक में छप भी गयी। जिन्होंने पढ़ी, उन्हें अच्छी लगी और इस तरह से कहानी लिखने का सिलसिला शुरू हुआ। एक और कहानी 'अपरा' में छपी, एक 'परांगव' में और दो-एक कहानियाँ कहीं और भी छपीं। लेकिन पता नहीं क्यों कहानी लिखने का सिलसिला अटपटे ढंग से ही चलता रहा । फ़िर कुछ मित्रों के साथ मिलकर एक समवेत कहानी-संग्रह निकालने की योजना बनी । सम्पादन का भार मुझे सौंपा गया । उसमें ओम गुप्ता, अशोक शर्मा, सुरेश धींगड़ा, शशि और मेरे समेत कुल छह कहानीकार थे । 'अब तक' नाम से यह कहानी - संग्रह 1978 में छपा।

- फ़िर से कहानी से

प्रताप सहगल (Pratap Sehgal)

प्रताप सहगल 10 मई, 1945 झंग (अविभाजित भारत) में जन्मे प्रताप सहगल एक मूर्द्धन्य नाटककार, अप्रतिम कवि, कथाकार, आलोचक और बाल साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने जहाँ एक ओर बेहतरीन यात्रा-व

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