प्रताप सहगल
10 मई, 1945 झंग (अविभाजित भारत) में जन्मे प्रताप सहगल एक मूर्द्धन्य नाटककार, अप्रतिम कवि, कथाकार, आलोचक और बाल साहित्यकार के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने जहाँ एक ओर बेहतरीन यात्रा-वृत्तान्त लिखे हैं, वहीं डायरी के रूप में अपने लेखकीय एवं नाटक की दुनिया से जुड़े अनुभवों को भी दर्ज किया है। बच्चों के प्रति विशेष स्नेह के चलते ही उन्होंने बच्चों के लिए नाटक, कहानियाँ और कविताओं की सर्जना की है। नाटक एवं साहित्य से जुड़े उनके वैचारिक निबन्ध हिन्दी साहित्य की अमूल्य धरोहर है।
उनकी अब तक प्रकाशित रचनाएँ : नाटक : अन्वेषक, रंग-बसन्ती, नहीं कोई अन्त, मौत क्यों रात भर नहीं आती, यूँ बनी महाभारत, तीन गुमशुदा लोग, रामानुजन, चार रूपान्त, नौ लघु नाटक, पाँच रंग नाटक, अपनी-अपनी भूमिका, ग्यारह लघु नाटक, कोई और रास्ता तथा अन्य लघु नाटक, कोई और रास्ता (रेडियो धारावाहिक), मेरे श्रेष्ठ लघु नाटक, अँधेरे में (पीटर शेफर के नाटक ब्लैक कामेडी का रूपान्तर), प्रबोधचन्द्रोदय (श्रीकृष्ण मिश्र यति के संस्कृत क्लासिक का हिन्दी रूपान्तर), क़िस्सा तीन गुलाबों का (बल्गेरियन नाटक का अनुवाद), अथ कथा रघुवंश (कालिदास के महाकाव्य रघुवंश के प्रथम आठ सर्गो का नाट्य-रूपान्तर) तथा बुल्लेशाह। कविता-संग्रह सवाल अब भी मौजूद है, आदिम आग, अँधेरे में देखना, मुक्ति द्वार के सामने, छवियाँ और छवियाँ (लम्बी कविताएँ), इस तरह से, एक-दूसरे से अलग, अलग-अलग होने के बावजूद (अंग्रेज़ी में) नचिकेता स ओडिसी। बाल साहित्य : नाटक-छू मंतर, दस बाल नाटक, दो बाल नाटक, नयी रीत तथा अन्य नाटक, हरियाली की रानी (बाल कहानी)। कथा साहित्य : उपन्यास-अनहद नाद, प्रियकान्त । कहानी संग्रह : अब तक, मछली मछली कितना पानी। यात्रा वृत्तान्त हर बार मुसाफ़िर होता हूँ, देखा समझा देस बिदेस, मेरे चुनिंदा यात्रा-वृत्तान्त आलोचना : रंग-चिन्तन, समय के निशान, नये दौर का हिन्दी नाटक । वैचारिक निबन्ध: समय के सवाल। विविध अंशतः (चुनिंदा रचनाओं का संग्रह) । डायरी : स्मृति में समय । साक्षात्कार: मेरे साक्षात्कार। अनुवाद : अनेक रचनाओं का अंग्रेज़ी, पंजाबी, बर्मी, नेपाली, पश्तो, बल्गेरियन, तेलुगु, मराठी, ओड़िया आदि दशाधिक भाषाओं में अनुवाद ।
सम्मान एवं पुरस्कार : साहित्यकार सम्मान (हिन्दी अकादमी), सौहार्द सम्मान (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान), मैथिलीशरण गुप्त सम्मान, रंग बसन्ती पर साहित्य कला परिषद द्वारा सर्वश्रेष्ठ नाट्यालेख पुरस्कार अपनी अपनी भूमिका पर शिक्षा मन्त्रालय (भारत सरकार), आदिम आग तथा अनहद नाद पर हिन्दी अकादमी, दिल्ली का कृति सम्मान, राजभाषा सम्मान (भारत सरकार), हिन्दी सेवी राजभाषा सम्मान (रोटरी क्लब, दिल्ली), गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान, नट-सम्राट सम्मान, प्रथम कला सम्मान तथा इंडियन नैशनल चैम्बर ऑफ़ मीडिया एवं एशियन एकेडेमी आफ आर्ट्स द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट सम्मान ।
अनेक नाटकों का देश भर में बार-बार मंचन। संगीत नाटक अकादमी के स्वर्ण जयन्ती समारोह के अवसर पर एवं कई राष्ट्रीय समारोहों में 'अन्वेषक' का विशेष मंचन ।
सूत्रवाक्य : जिज्ञासा ही जीवन है।
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