प्रकृति की मनोरम छाया में संसाधनों से परिपूर्ण, मांदर की धुन पर थिरकता झारखण्ड भारतीय संघ का 27वाँ राज्य है। 15 नवम्बर, 2000 को आदिवासी अस्मिता के सबसे बड़े नायक धरती आबा बिरसा मुंडा के जन्मदिवस के दिन इस राज्य का गठन हुआ था। राज्य की विधानसभा का 23 वर्षों के राजनैतिक सफ़र में और राज्य के उत्तरोत्तर विकास में अहम योगदान रहा है ।
वर्तमान विधानसभा राज्य की पंचम विधानसभा है। अब तक इन पाँच विधानसभाओं का संचालन सात विधानसभा अध्यक्षों क्रमशः श्री इन्दर सिंह नामधारी, श्री मृगेन्द्र प्रताप सिंह, श्री आलमगीर आलम, श्री चन्द्रेश्वर प्रसाद सिंह, श्री शशांक शेखर भोक्ता, श्री दिनेश उरांव एवं श्री रबीन्द्रनाथ महतो ने किया है। सभा के संचालन के दौरान अध्यक्षीय पीठ से दिये गये भाषण समकालीन राजनैतिक घटनाक्रमों पर प्रकाश तो डालते ही हैं, राज्य की संसदीय व्यवस्था की समझ विकसित करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। यह पुस्तक 23 वर्षों के आसन से सदन के संवाद का संकलन है।
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सच्चे लोकतन्त्र के लिए व्यक्ति को केवल संविधान के उपबन्धों अथवा विधानमण्डल में कार्य संचालन हेतु बनाये गये नियमों और विनियमों के अनुपालन तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि विधानमण्डल के सदस्यों में लोकतन्त्र की सच्ची भावना भी विकसित करनी चाहिए। यदि इस मौलिक तथ्य को ध्यान में रखा जाये तो स्पष्ट हो जायेगा कि यद्यपि मुद्दों पर निर्णय बहुमत के आधार पर लिया जायेगा, फिर भी यदि संसदीय सरकार का कार्य केवल उपस्थित सदस्यों की संख्या और उनके मतों की गिनती तक ही सीमित रखा गया तो इसका चल पाना सम्भव नहीं हो पायेगा । यदि हम केवल बहुमत के आधार पर कार्य करेंगे, तो हम फासिज्म, हिंसा और विद्रोह के बीज बोयेंगे। यदि इसके विपरीत हम सहनशीलता की भावना, स्वतन्त्र रूप से चर्चा की भावना और समझदारी की भावना का विकास कर पायें तो हम लोकतन्त्र की भावना को पोषित करेंगे ।
–गणेश वासुदेव मावलंकर
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