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हे राम से जय श्रीराम तक

मीडिया / विज्ञापन / पत्रकारिता
Paperback
Hindi
9789357754651
1st
2024
328
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पाठकों को स्वतन्त्र भारत की इस यात्रा में आनन्द वर्धन सिंह का साथ देना चाहिए। लोगों को यह देखना चाहिए कि आज़ाद भारत के सफ़र में मील का पत्थर साबित हुई घटनाओं के बारे में उनके विचारों और एक अनुभवी पत्रकार के विश्लेषण में कितनी समानता है, जिसका झुकाव लोकतन्त्र और जनकल्याण की ओर है।
-प्रो. राजमोहन गांधी, प्रमुख शिक्षाविद् एवं राजनीतिज्ञ
/
आनन्द वर्धन सिंह पुस्तक की समाप्ति पर अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए लिखते हैं कि देश जय श्रीराम के नारे के साथ आगे बढ़ रहा है, जिसका उपयोग आजकल युद्धघोष की तरह किया जा रहा है। लेकिन आवश्यकता 'जय सिया राम' की है, जो सभी के लिए शान्तचित्तता की ध्वनि है। मैं शान्ति, सहिष्णुता और एकता के लिए उनकी इच्छा को दोहराता हूँ। जिस देश से हम सभी प्यार करते हैं, उसके उज्ज्वल भविष्य का यही एकमात्र रास्ता है।
- डॉ. शशि थरूर,
प्रतिष्ठित लेखक एवं राजनीतिज्ञ
/
हे राम ! से जय श्रीराम ! यह 1947 के बाद से भारतीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज के कायापलट की एक मनोरंजक कथा है। वर्तमान रुझानों की पृष्ठभूमि पर ध्यान आकर्षित करने से लेकर विविध पहलुओं को एक साथ बुनने तक, आनन्द वर्धन ने सभी के लिए 21वीं सदी के भारत का एक बहुत व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक आपका सामना गांधी और हिन्दुत्व से कराती है। संविधान से क्रिकेट तक, खाद्य सुरक्षा से सीमा सुरक्षा तक, लोकतन्त्र के पटरी से उतरने से लेकर बाबरी मस्जिद के विध्वंस तक, भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लामबन्दी से नोटबन्दी तक, मनमोहन की मनरेगा से लेकर मोदी के अयोध्या तक। बेशक इसे पढ़ने की ज़रूरत है।

-प्रो. आनन्द कुमार,
राजनीतिक समाजशास्त्री

सुनील कुमार (Sunil Kumar)

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आनन्द वर्धन सिंह (Anand Vardhan Singh)

आनन्द वर्धन सिंह आनन्द वर्धन सिंह वरिष्ठ पत्रकार, राजनैतिक विश्लेषक और सामाजिक सरोकारों के क्षेत्र में एक लोकप्रिय चेहरा हैं। वह राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक लोकमत उत्तर प्रदेश संस्करण के सम्प

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