हिन्दी पत्रकारिता एवं जनसंचार -
हिन्दी पत्रकारिता और जनसंचार पुस्तक, उन सभी मूल्यों को जीवन में व्यवहारिक रूप से अपनाने के लिए बाध्य करती है जिन मूल्यों से पत्रकारिता का क्षेत्र महिमामंडित हुआ है। पत्रकारिता एवं जनसंचार एक ऐसा विषय है जो सम्पूर्ण समाज के हितों से जुड़ा हुआ है। भले ही पत्रकारिता आज एक सम्मोहक विषय बन गया हो, और बड़ी संख्या में जिज्ञासु जन इस क्षेत्र में आने लगे हों; तब भी यह क्षेत्र समाज सेवा का एक जबर्दस्त माध्यम है। संसद की तरह यहाँ कुछ भी गोपनीय नहीं है। पत्रकारिता एवं जनसंचार माध्यमों की पहुँच आज विश्व मानव तथा देश के जन-जन तक सम्भव हुई है। संवाद भी पुख्ता हुआ है। जनसंचार माध्यम शिक्षक जैसी मुद्रा अपना कर देश की जनता को शिक्षित करने प्रेरित करने एवं स्वस्थ मनोरंजन उपलब्ध कराने है। संचार माध्यमों की इस भूमिका को विस्तार भी मिल रहा है। आज आम जन का पत्रकारिता एवं जनसंचार माध्यमों से नाता टूट हो गया है। स्वतन्त्रता के बाद पत्रकारिता एवं जनसंचार माध्यमों में व्यवसायिकता दूध-पानी की तरह घुल गयी है मिशन की भावना में जबर्दस्त अभाव खटकता है। उच्च सांस्कृतिक विरासत के दिशाबोध की कमी भी खलती है। ये ऐसे ज्वलन्त प्रश्न हैं जिनके उत्तर, पाठक इस पुस्तक में सहजता के साथ खोज सकता है। पत्रकारिता एवं जनसंचार माध्यम विवेक और प्रतिभा की प्रस्तुति के उचित आधार बिन्दु कहे जा सकते हैं। पर कहीं पत्रकारिता ने हमें अमर्यादित रूप से अधिकार सजग तो नहीं बना डाला है; साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संवेदनाएँ कहीं कमज़ोर तो नहीं हुई है, राष्ट्र प्रेम व मानवीय प्रेम को जो धक्का लगा है वह शोचनीय है। इस सन्दर्भ में दिशा बोधक, मूल्य परक, एवं आचार संहिता का बुनियादी ज्ञान, इस पुस्तक में पाठक को सद्प्रेरित करता है। पुस्तक अत्यन्त पठनीय एवं ज्ञानवर्द्धक है।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review