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Vishwamithaksaritsagar

Paperback
Hindi
9789350727485
1st
2015
666
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₹3,000.00

विश्‍वमिथकसरित्सागर - इस एन्साइक्लोपीडिआई ग्रन्थ में कोई भी भ्रामक दावेदारी नहीं हुई है। वर्तमान में भी कोई कम्प्यूटर, डी-एन-ए, एल-एस-डी, विश्वमिथकयानों के ऐसे अलबेले नवोन्मेषक, कॉस्मिक विश्वरूपता की छाया तक नहीं छू पाये। इस प्रथम हंसगान-परक ग्रन्थ में मिथकायन (मिथोलॉजी) से

प्रयाण करके मिथक-आलेखकारी (मिथोग्राफ़ी) के प्रस्थानकलश की अभिष्ठापना है। इसके तीन ज्वलन्त नाभिक हैं-पाठ-संरचना एवं कूट। अतः नृत्तत्त्वशास्त्र तथा एथनोग्राफ़ी के लिए तो इसमें दुर्लभ ख़ज़ाना है। अथच वास्तुशास्त्र, समाजशास्त्र, सौन्दर्यबोधशास्त्र, समाजविज्ञानों के हाशियों पर भी मिथकों के नाना 'पाठरूपों' (भरतपाठ से लेकर उत्तर- आधुनिक पाठ) तथा 'सामाजिक पंचांगों' की अनुमिति हुई है। विश्व के कोई पैंतीस देशों तथा आठ-दस पुराचीन सभ्यता- संस्कृतियों के पटल एकवृत्त में गुँथे हैं। आद्यन्त एक महासूत्र गूँज रहा है- “विश्वमिथक के स्वप्न-समय में संसार एक था तथा मिथकीय मानस भी एकैक था।" इसी युग्म से समसमय तक मानव का महाज्ञान तथा महाभाव खुल-खुल पड़ता है।

इस ग्रन्थ में मिथक-आलेखकारी के दो समानान्तर तथा समावेशी आयाम हैं :- एक क्षेत्र-सभ्यता-संस्कृति- अनुजाति-नस्ल के पैटर्न, तथा दूसरा, चित्रमालाओं वाली बहुकालिकता। फलतः शैलचित्रों से लेकर ओशेनिया और मेसोपोटामिया से अंगकोरवाट तक का हज़ारों वर्षों का समय लक्ष्य रहा है। यह ग्रन्थ उस 'महत्' में, प्राक-पुरा काल में भी, सृष्टि, मिथक, भाषा, कबीलों गोत्रों-गोष्ठों का अनन्त यात्री है। वही ऋत् है। वही अमृत है। वही जैविकता तथा भौतिकता तथा सच्चिदानन्द है। अतः आधुनिक काल में हम, मिथक केन्द्रित पाँच कलाकृतियों के माध्यम से भी आगे, 'चे' ग्वेरा, उटामारो, डिएगो राइवेरा, भगत सिंह तक में उसकी परिणति की पहचान करते हैं।

ग्रन्थ में सर्वत्र मिथभौगोलिक मानचित्रों, समय-सारणियों, तालिकाओं, दुर्लभ चित्रफलकों तथा (स्वयं र.कुं. मेघ द्वारा रचे गये) अनपुम अतुल्य रेखाचित्रों की मिथक-आलेखकारी का तीसरा (अन्तर्निहित) आयाम भी झिलमिलाता-जगमगाता है। अतएव हरमनपिआरे हमारे साथियो, साथिनो! चलिए, इस अनादि-अनन्त यात्रा की खोजों में। न्यौता तथा चुनौती कुबूल करके अगली मंज़िलें आपको ही खोजनी होंगी-मानवता, संसार, देश, भारत तथा हिन्दी के लिए !!

रमेश कुन्तल मेघ (Ramesh Kuntal Megh)

रमेश कुंतल मेघ जन्म : सन् 1931 ।- जाति-धर्म-प्रान्त से मुक्त । देश- विदेश के चौदह-सोलह शहरों के वसनीक यायावर ।- भौतिक-गणित-रसायन शास्त्र त्रयी में बी.एससी. (इलाहाबाद), फिर साहित्य में पीएच. डी. (बनारस ह

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