Ramesh Kuntal Megh

रमेश कुंतल मेघ

जन्म : सन् 1931 ।

- जाति-धर्म-प्रान्त से मुक्त । देश- विदेश के चौदह-सोलह शहरों के वसनीक यायावर ।

- भौतिक-गणित-रसायन शास्त्र त्रयी में बी.एससी. (इलाहाबाद), फिर साहित्य में पीएच. डी. (बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी) ।

- अध्यापन : बिहार यूनिवर्सिटी (आरा), पंजाब यूनिवर्सिटी (चण्डीगढ़), गुरुनानकदेव यूनिवर्सिटी (अमृतसर), यूनिवर्सिटी ऑफ़ आरकंसास पाइनब्लक (अमेरिका) ।

- कार्ल मार्क्स के ध्यान-शिष्य, आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अकिंचन शिष्य ।

- सौन्दर्यबोध शास्त्र, देहभाषा, मिथक आलेखकार, समाजवैज्ञानिक वैश्विक दृष्टिकोण के विनायक- अनुगामी, आलोचिन्तक ।

- इस 'विश्वमिथकसरित्सागर' नामक प्रथम हंसगान के सहवर्तन में 'मानवदेह और हमारी देहभाषाएँ' नामक दूसरा ग्रन्थ 2015 में ही प्रकाश्य ।

अथच

- कैसा है यह इन्सान उर्फ़ रमेश कुंतल मेघ ?

- अनन्त काल तथा विपुल पृथ्वी वाले भवभूति-सिन्ड्रोम के अनागत प्रीत और कीर्ति के आवरण झिलमिलाता हुआ... आहिस्ता...आहिस्ता... आहिस्ता !

- बस इतना ही : हुजूर, प्रियवर, हमराही, सनम, जानमेन, हीरामन, नीलतारा...

- मेरे सलाम कुबूल करो !!

निधन : 1 सितम्बर, 2023

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