Baghavat Aur Wafadari : Navjagran Ke Ird-Girdh

Paperback
Hindi
93-5518-865-X
9789355188656
1st
2023
152
If You are Pathak Manch Member ?

19वीं सदी के हिन्दू-मुस्लिम नवजागरण की जितनी भी भद्रवर्गीय धाराएँ थीं, सबने अपने धर्म की रक्षा और सुधार के लिए जिन विचारों और उपायों का सहारा लिया, उन सबका नतीजा हिन्दू-मुस्लिम अलगाव को और बढ़ाने में निकला। विदेशी (ईसाई) धर्म और संस्कृति का मुक़ाबला करते हुए उन्होंने अपने-अपने धर्म की रक्षा ज़रूर की और अपनी धार्मिक रूढ़ियों का विरोध करते हुए धर्म को सुधारने की कोशिश भी ज़रूर की, लेकिन यह काम उन्होंने इस तरीके से किया कि विभिन्न धर्मों को माननेवालों के बीच भेद-भाव की दीवारें और मज़बूत हुईं। धर्म की रक्षा का उद्देश्य सामने रखते हुए उन्होंने सभी भारतीयों की एकता को बढ़ावा देने का उद्देश्य सामने कतई नहीं रखा। “अन्य मत की पूजा या भिन्नों से मिलना-जुलना और उनके नाम का खाना-पीना छूट जायेगा”- ऐसे उद्देश्य को साधने वाला नवजागरण भारतीय समाज की एकता को कैसे आगे बढ़ाता? उलटे वह उस एकता को तोड़ता था। बहुत-से धर्मों को मानने वाले देश में धर्मसुधारकों का यह दावा कि उन्हीं के धर्म को मान लेने से राष्ट्रवाद पैदा हो सकता है-एक नामुमकिन और बेबुनियाद ख़याल था।

श्रद्धाराम के धार्मिक विचारों का एक पक्ष ऐसा भी है जिसकी चर्चा अब कम होती है, लेकिन एक समय में वह पक्ष चर्चित ही नहीं, विवादास्पद भी था। अपने धार्मिक चिन्तन में श्रद्धाराम एक ऐसी जगह भी पहुँचते हैं जहाँ उनके अध्यात्मबोध में ईश्वर का होना भी बहुत ज़रूरी नहीं रह जाता है। इस बात को रामचन्द्र शुक्ल ने भी एक दूसरी तरह से नोट किया है। पंजाब में हिन्दू धर्म का स्तम्भ समझे जाने वाले इस विद्वान के स्वतन्त्र विचारों का ज़िक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि कई बार वे ऐसी बातें कह और लिख जाते थे जो कट्टर अन्धविश्वासियों को खटक जाती थीं और कुछ लोग इन्हें नास्तिक तक कह देते थे।

- इसी पुस्तक से एक अंश

वीर भारत तलवार (Vir Bharat Talwar )

डॉ. वीर भारत तलवार जन्म: 20 सितम्बर, 1947 (जमशेदपुर)। शिक्षा: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से 1970 में एम.ए. (हिन्दी)। 1984 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएच.डी.। 1996 से 1999 तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter