Chhatari

Paperback
Hindi
9788119014347
1st
2023
130
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छतरी - ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियों ने सामाजिक जीवन में रची-बसी विद्रूपताओं, विसंगतियों और विषमताओं की भीतरी जड़ों को सूक्ष्मताओं से खँगाला है। इनकी कहानियों में गहरी मानवीय संवेदनाएँ और सामाजिक जीवन के सरोकार परस्पर गुँथे दिखायी देते हैं। सामाजिक संरचना में अनदेखा, अनचीह्ना एक ऐसा संसार है, जो कहीं न कहीं मानवीय रिश्तों, संवेदनाओं को तार-तार कर देता है। ओमप्रकाश वाल्मीकि की ये कहानियाँ इन स्थितियों को गहन पड़ताल के साथ प्रस्तुत करती हैं। संग्रह की शीर्षक कहानी 'छतरी' ग्रामीण जीवन का एक ऐसा चित्र प्रस्तुत करती है, जहाँ असुविधाओं और विवशताओं से जूझते लोग और उनकी छोटी-छोटी दम तोड़ती इच्छाओं, वेदनाओं का एक ऐसा संसार रचती हैं, जहाँ निराशा, हताशा उसे गहरी खाइयों में धकेल देती है। जहाँ सिर्फ़ नैराश्य का गहरा अँधेरा होता है। इन कहानियों में भाषा की सजीवता और चित्रात्मकता गहन अनुभवों के साथ कथ्य को वस्तुनिष्ठ बनाकर अभिव्यक्ति करती है, और यथार्थ का एक ऐसा खाका तैयार करती हैं, जो कहानीकार की प्रतिबद्धता को सामाजिक सरोकारों से जोड़ती दिखायी देती है। हिन्दी कहानी का यह रूप जो गत कुछ वर्षों में दलित कहानी के रूप में सामने आया है, एक नयी ज़मीन तैयार करने में सक्षम दिखायी देता है? सामाजिक उत्पीड़न और अभावों के बीच के जीवन को जिस गहरी वेदना और व्यथा के साथ इन कहानियों में उघाड़ा गया है, वह कहानी के प्रभावों को गहरी चेतना के साथ अभिव्यक्ति की एक नयी ताज़गी देता है? यही इन कहानियों का यथार्थ भी है और उद्देश्य भी। यही वे सूत्र हैं जो ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियों को अन्य कहानीकारों से अलग और विशिष्ट बनाते हैं?

ओम प्रकाश वाल्मीकि (Om Prakash Valmiki)

ओमप्रकाश वाल्मीकि - जन्म: 30 जून, 1950, मुज़फ़्फ़र नगर (उत्तर प्रदेश)। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी साहित्य)। प्रकाशित कृतियाँ: कविता-संग्रह—'सदियों का संताप', 'बस्स! बहुत हो चुका', 'अब और नहीं', 'शब्द झूठ नहीं बो

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