Sandhan

Paperback
Hindi
9789355188847
1st
2023
123
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.... तीस- पैंतीस वर्ष हो गये। स्वयं प्रकाश आज महत्त्वपूर्ण लेखकों में शुमार हैं। अपनी पीढ़ी के कई लेखकों को पीछे छोड़ दिया है। कुछ ठहर गये हैं, कुछ उखड़ गये हैं, कुछ के मुद्दे बदल गये हैं। इस आदमी ने जनता का पक्ष नहीं छोड़ा और जनता के शत्रु से समझौता नहीं किया। ज़िन्दगी जहाँ से गुज़री, अपने लिए रास्ता निकालती रही। जटिल से जटिल स्थितियों से कहानी-उपन्यास लेकर आया। आँखें खुली रखीं तो समय का कोई झंझावात ओझल नहीं हुआ। कुछ भी छिपा नहीं ।
स्वयं प्रकाश की कोई रचना अमूर्त नहीं है। उनमें प्रेम-घृणा संघर्ष सब कुछ है । स्वरूप ग्रहण करता हुआ देश-काल । दो दर्जन से अधिक प्रकाशित पुस्तकें इसका साक्ष्य हैं। अपने समय के इतने चरित्र बहुत कम कथाकारों ने रचे होंगे। पहले के लेखकों में प्रेमचन्द - नागार्जुन - रेणु और परसाई ने रचे, फिर काशी - स्वयं प्रकाश ने चरित्रों में नायक खलनायक दोनों हैं। दोनों कभी-कभी एक ही पात्र में मौजूद । दो ही नहीं, अनेक ध्रुवों के चरित्र अपनी-अपनी भूमिका में ।
स्वयं प्रकाश की कहानियों की यही प्रकृति है। वह समाज के किसी समूह की किसी एक स्थिति को उसमें शामिल पात्रों के साथ उठाते हैं। उसका रूपाकार रचते हैं। पूरी दृश्यावली इस कोण से सामने आती है कि वही सब कुछ कह जाती है।
जो बतकही को जाने, बातों में रस ले, मुद्राओं के रास्ते दिल तक घुस सके, वही इसे जानेगा। यह गुण हमारे जातीय लेखकों का है-बालकृष्ण भट्ट, प्रताप नारायण मिश्र, हरिशंकर परसाई और नागार्जुन का। यही स्वयं प्रकाश की भी कला है।
-डॉ. कमला प्रसाद

स्वयं प्रकाश (Swayam Prakash)

स्वयं प्रकाशजन्म : 20 जनवरी 1947, इन्दौर (म.प्र.) ।शिक्षा : मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, एम.ए. (हिन्दी), पीएच.डी. ।प्रकाशित पुस्तकें : (कहानी संग्रह) मात्रा और भार, सूरज कब निकलेगा, आसमाँ कैसे कैसे,

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