स्वयं प्रकाश
जन्म : 20 जनवरी 1947, इन्दौर (म.प्र.) ।
शिक्षा : मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, एम.ए. (हिन्दी), पीएच.डी. ।
प्रकाशित पुस्तकें : (कहानी संग्रह) मात्रा और भार, सूरज कब निकलेगा, आसमाँ कैसे कैसे, अगली किताब, आयेंगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी, अगले जनम, सन्धान, कहानियों के कुछ चयन भी; (पत्र) डाकिया डाक लाया; (उपन्यास) ज्योतिरथ के सारथी, जलते जहाज़ पर, उत्तर जीवन कथा, बीच में विनय, ईंधन; (निबन्ध) स्वान्तः दुखाय, दूसरा पहलू, रंगशाला में एक दोपहर, एक कथाकार की नोटबुक, लिखा पढ़ा; (रेखाचित्र) हमसफ़रनामा; (नाटक) फ़ीनिक्स, चौबोली; (बाल साहित्य) सप्पू के दोस्त, प्यारे भाई रामसहाय, हाँजी नाजी, परमाणु भाई की दुनिया में, हमारे विज्ञान रत्न; (अनुवाद) पंगु मस्तिष्क, अन्यूता, लोकतान्त्रिक विद्यालय; (सम्पादन) सुनो कहानी, हिन्दी की प्रगतिशील कहानियाँ ।
आठवें दशक में राजस्थान से जनवादी पत्रिका 'क्यों' का सम्पादन, मधुमती के विशेषांक के साथ बच्चों की पत्रिका 'चकमक' का सम्पादन, विगत लगभग एक दशक तक प्रगतिशील लेखक संघ की पत्रिका 'वसुधा' का सम्पादन ।
सम्मान : राजस्थान साहित्य अकादेमी पुरस्कार, गुलेरी सम्मान, सुभद्रा कुमारी चौहान पुरस्कार, बनमाली पुरस्कार, पहल सम्मान, कथाक्रम सम्मान, भवभूति अलंकरण, साहित्य अकादेमी का बाल साहित्य पुरस्कार 2017, पाखी पत्रिका का शब्द साधक शिखर सम्मान 2018 |
अन्य : राजस्थान साहित्य अकादेमी द्वारा मोनोग्राफ प्रकाशित, लेखक - विश्वम्भरनाथ उपाध्याय ।
साहित्यिक पत्रिकाओं 'चर्चा', 'सम्बोधन', 'राग भोपाली', ‘बनास’, ‘संवेद', 'चौपाल', 'सृजन सरोकार', 'पाखी' और 'साम्य' द्वारा रचनाकर्म पर विशेषांक प्रकाशित।
स्मृति शेष: मुम्बई, 7 दिसम्बर 2019 |