Agra Bazar

Habib Tanvir Author
Paperback
Hindi
9789387024939
6th
2024
120
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हवस है अब तो यही नक्दे-दिल तलक दीजे
शराबे-इश्क़ को खूब में बैठकर पीजे
भरा है दिल में बहुत शौक़ आह क्या कीजे
नज़ीर आज भी चल कर बुतों से मिल लीजे
फिर इशत्याक़ का आलम रहे न रहे।

★★★

नाज़ उठाने में जफ़ाएँ तो उठाएँ लेकिन
लुत्फ़ भी ऐसा उठाया है कि जी जाने है।
-नज़ीर

★★★

हमने इस इश्क़ में क्या खोया है क्या पाया है
जुज़ तेरे और को समझाऊँ तो समझा न सकूँ
-फ़ैज़ अहमद 'फ़ैज़'

हबीब तनवीर (Habib Tanvir)

हबीब तनवीर1944 में नागपुर विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद हबीब तनवीर ने 1955-56 में ब्रिटेन की 'राडा' (रॉयल एकेदेमी ऑफ़ ड्रामाटिक आर्ट्स) में अभिनय तथा एक वर्ष बाद वहीं के ‘'ब्रिस्ट

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