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हबीब तनवीर

हबीब तनवीर

1944 में नागपुर विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त करने के बाद हबीब तनवीर ने 1955-56 में ब्रिटेन की 'राडा' (रॉयल एकेदेमी ऑफ़ ड्रामाटिक आर्ट्स) में अभिनय तथा एक वर्ष बाद वहीं के ‘'ब्रिस्टल ओल्ड बिक थिएटर स्कूल' से नाट्य-निर्मित का अध्ययन किया। 1954 में वे दिल्ली में पहले पेशेवर नाट्यमंच की स्थापना कर चुके थे और 1959 में उन्होंने ‘नया थिएटर' के नाम से एक अन्य नाट्यमंच की शुरुआत की। नाटककार, कवि, पत्रकार, नाट्य-निदेशक तथा मंच अभिनेता होने के साथ-साथ वे कई फ़िल्मों और टी.वी. धारावाहिकों में काम कर चुके हैं। हबीब तनवीर को ढेरों पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, उन्हें पद्मश्री, संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार, शिखर सम्मान, विश्वविद्यालय से मानद डी.लिट्., कालिदास सम्मान, उर्दू अकादेमी नाट्य पुरस्कार, साहित्य कला परिषद नाट्य पुरस्कार आदि प्रदान किये गये हैं। वे रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर में अतिथि प्राध्यापक, संगीत नाटक अकादेमी के फ़ैलो, साहित्य अकादेमी की कार्यकारिणी के सदस्य तथा नेहरू फ़ैलोशिप के प्राप्तकर्ता भी रहे हैं। उनके विख्यात नाटकों में 'आगरा बाज़ार', 'चरन दास चोर', 'देख रहे हैं नैन' और 'हिरमा की अमर कहानी' सम्मिलित हैं। उन्होंने 'बसन्त ऋतु का सपना' के अलावा 'शाजापुर की शान्ति बाई', 'मिट्टी की गाड़ी' तथा 'मुद्राराक्षस' शीर्षकों से देशी-विदेशी नाटकों का आधुनिक रूपान्तर किया है। हबीब तनवीर के नाटकों को अनेक पुरस्कार मिले हैं जिनमें 1982 के एदिनबरा अन्तर्राष्ट्रीय नाट्य समारोह का 'फ्रिज फ़र्ट्स' पुरस्कार भी शामिल है।