प्रयोगधर्मी विकास शिल्पी : नीतीश कुमार - किसी भी सशक्त और समृद्ध लोकतन्त्र के लिए राजनीतिक परिवर्तन एक महत्त्वपूर्ण घटक है। बिहार के इतिहास में 2005 का वर्ष परिवर्तन की दिशा में प्रस्थान बिन्दु माना जा सकता है। यह वर्ष महज़ राजनीतिक परिवर्तन के लिए नहीं बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तन और उन्नयन के लिए भी याद किया जायेगा। यह भी कहा जा सकता है कि यह वर्ष महात्मा गाँधी, भीमराव अम्बेडकर, राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण के सपनों के साकार होने का वर्ष बन गया। इसी वर्ष श्री नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में संरचनात्मक बदलाव के साथ सुधार आन्दोलनों के वाहक के रूप में उभरे। उन्होंने राजनीति के ज़रिये समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए महत्तम प्रयास किया है। हालिया वर्षों में राजनीति में विकास की परिभाषा केवल अवसंरचनात्मक विकास तक सीमित नहीं रह गयी है। बल्कि इसमें मानवीय मूल्यों के प्रति चिन्ता और सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत के प्रति जवाबदेही शामिल है। श्री नीतीश कुमार ने सत्ता सँभालते ही विकास की इसी तर्ज पर महिलाओं को चारदीवारी से बाहर निकालकर उन्मुक्त और सुरक्षित आकाश दिया। उन्होंने प्रदेश में सर्वप्रथम 'ग्राम स्वराज' की अवधारणा को साकार किया। साथ ही समावेशी विकास की अवधारणा पर विशेष बल दिया।
नीतीश कुमार के भागीरथ प्रयासों की बदौलत विकास का गाँधीयन मॉडल बिहार के लिए रोल मॉडल बन गया। श्री कुमार निराशा के घनघोर अँधेरे को चीरते हुए उम्मीद की नयी किरण लेकर लगातार विकास पथ पर आगे बढ़ रहे हैं, जहाँ समाज और संस्कृति के प्रति सरकार की ज़िम्मेदारी और जवाबदेही का निर्धारण किया गया है।
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