Rassakashi

Paperback
Hindi
9789352296941
2nd
2022
368
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उन्नीसवीं सदी का भारतीय नवजागरण धर्म और समाज को सुधारने के महान् साहसिक प्रयासों के रूप में शुरू हुआ था, जो करीब पचास सालों तक बंगाल और महाराष्ट्र के भद्रवर्गीय प्रबुद्ध समाज में हलचल मचाता रहा। लेकिन फिर उसके हिन्दू-प्रतिक्रिया की शक्तियाँ प्रवल रूप से उठ खड़ी हुई और पश्चिमोत्तर प्रान्त में जो भी और जैसा भी नवजागरण आया, दुर्भाग्य से वह इसी दौर में आया, जिसे कुछ हिन्दी-लेखकों ने 'हिन्दी नवजागरण' कहा है। डॉ. तलवार पूरे साहस के साथ इस मत का खण्डन करते हुए कहते हैं कि वास्तव में इसका नाम 'हिन्दी 'आन्दोलन' होना चाहिए, क्योंकि इस आन्दोलन के नेताओं का सक्ष्य यही था भारतीय नवजागरण मुख्यतः धर्म और समाज के सुधार का आन्दोलन था जबकि ये "धर्म के परम्परागत स्वरूप में बुनियादी सुधारों का विरोध करते थे। सामाजिक सुधारों के मामले में सबसे प्रधान मुद्दे-स्त्रीप्रश्न पर उनका नप्रिया पिछड़ा हुआ और दुविधाग्रस्त था। आर्य समाज या ब्राह्मसमाज की तरह उन्होंने स्त्री शिक्षा का उत्साहपूर्ण आन्दोलन कभी नहीं चलाया। वालविवाह का विरोध करते हुए भी उन्होंने उसके खिलाफ कोई कारगर कदम नहीं उठाया। विधवा-विवाह के प्रश्न पर एकाच अपवाद को छोड़कर, या तो थे इसके विरोधी रहे या दुविधाग्रस्त।"

डॉ. तलवार के मतानुसार, "हिन्दू-मुस्लिम भद्रवर्ग के बीच होड़ के मुद्दों ने यहाँ धार्मिक-सामाजिक सुधारों के सवाल को गौण बना दिया और जो समस्याएँ आज इतनी विकराल बनकर हमें आतंकित कर रही हैं-हिन्दू राष्ट्रवाद या सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, साम्प्रदायिक धार्मिक फंडामेंटलिज़्म, मुस्लिम अलगाववाद और हिन्दी-उर्दू विवाद- इन सबका जन्म उन्नीसवीं सदी में नवजागरण के दौर में हुआ था।" डॉ. तलवार का यह निष्कर्ष ही इस पुस्तक को प्रासंगिक बनाता है, जो आज की साम्प्रदायिक व अलगाववादी प्रवृत्तियों के विश्लेषण समाधान में सहायक हो सकता है।

वीर भारत तलवार (Vir Bharat Talwar )

डॉ. वीर भारत तलवार जन्म: 20 सितम्बर, 1947 (जमशेदपुर)। शिक्षा: बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से 1970 में एम.ए. (हिन्दी)। 1984 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएच.डी.। 1996 से 1999 तक भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान

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