Ulatbaansi

Kavita Author
Hardbound
Hindi
9788126317509
2nd
2009
144
If You are Pathak Manch Member ?

उलटबाँसी - सहज लेकिन अलग भावभूमि पर खड़ी कथावस्तु के कारण अपने समकालीनों में दूर से पहचान ली जानेवाली कविता का यह दूसरा कथा-संग्रह 'उलटबाँसी' जीवन-मूल्यों में हो रहे परिवर्तनों के द्वन्द्व के बीच आत्मनिर्भरता के विश्वास को रेखांकित करता है। तेज़ रफ़्तारवाले समय और बदलते परिवेश में नये स्त्री-सत्यों का अन्वेषण करतीं ये कहानियाँ स्त्री-मुक्ति का एक समानान्तर संसार भी बुनती हैं। इस संग्रह की कई कहानियाँ उस सार्वभौम भगिनीवाद के उत्कर्ष की कहानियाँ हैं जो मानता है कि वर्गगत, वर्णगत, धर्मगत और नस्लगत विडम्बनाओं की भुक्तभोगी होने के बावजूद विश्व की प्रायः सभी स्त्रियों में एक अव्यक्त-सा बहनापा पलता है। इस बृहत्तर भावबोध और नये परिवार की अवधारणा ही इन कहानियों का मर्म है। ये कहानियाँ आधुनिकता और परम्परा के 'जिरह' से उपजी ऐसी उलटबाँसियाँ हैं जो न सिर्फ़ पुरानी रूढ़ियों को चुनौती देती हैं, उनके बरअक्स आधुनिक युगबोध का एक नया समाजशास्त्र भी रचती हैं। वह भी ज़िन्दगी के इतने क़रीब कि पाठकों को अपना सा लगे।

कविता (Kavita )

कविता - जन्म: 15 अगस्त, मुज़फ़्फरपुर (बिहार)। शिक्षा: हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर और राष्ट्रीय संग्रहालय, नयी दिल्ली से भारतीय कलानिधि। पिछले दो दशकों से कहानी की दुनिया में सतत सक्रिय कवित

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter