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रहीम - रहीम अकबर के पिता हुमायूँ के जाँबाज़ सेनापति बैरम ख़ाँ के बेटे थे। वह सत्ता के लिए निरन्तर साज़िशों और लड़ाइयों के कारण भारी उथल-पुथल का दौर था और रहीम का बचपन इन्हीं साज़िशों और उथल-पुथल के बीच अपने पिता की हत्या के बाद अकबर के संरक्षण में बीता था। एक जाँबाज़ योद्धा और उदार बादशाह के संरक्षण में पले-बढ़े रहीम का व्यक्तित्व भी लगभग वैसा ही बन गया था। वे अपने युद्धकौशल के कारण तो मशहूर थे ही, अपनी हाज़िर-जवाबी और दानशीलता के कारण भी उतने ही विख्यात थे। जो सेनापति लड़ाई जीतने के बाद अपने सैनिकों के बीच अपनी सारी दौलत, यहाँ तक कि अपना क़लमदान भी दान में दे सकता है या किसी कवि को उसकी दो पंक्तियों के लिए लाखों रुपये दान में दे सकता है, उसकी उदारता और कलाप्रियता प्रसिद्ध है।
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