पंजाबी की समकालीन कहानियाँ - कहानी की उम्र मनुष्य के, मानव सभ्यता के जन्म और विकास के साथ ही शुरू होती है। प्रत्येक इतिहास एक कहानी ही तो कह रहा है। संसार, देश, प्रान्त से सिमटकर मानव मन समाज या घर परिवार की बात करता है तो वह कहानी का सहारा लेता है। विश्व कथा पर भारतीय कहानी की तरह पंजाबी कहानी की भी रोचक दास्तान है। और फिर समकालीन पंजाबी ने तो देश-देशान्तर में अपने नाट्य रूपान्तर, धारावाही सीरियलों के रूप में भी धाक जमायी है। कथा-कहानी, लघुकथा अथवा लम्बी कहानी या उपन्यासिका के रूप में हमारे कथाकारों ने भारतीय समकालीन कहानी से टक्कर ली है और बड़े या छोटे, पुराने या नये रचनाकारों की कहानियाँ उर्दू, अंग्रेज़ी से आगे, विश्व की अन्यान्य भाषाओं में भी गूँज पैदा करती रही हैं। अनूदित, रूपान्तरित होकर विश्व कथा, भारतीय कहानियाँ पंजाबी में उभरने से हमारे लेखकों-सम्पादकों-आलोचकों की चेतना विकसित हुई तो उन्होंने अपनी भाषा, माँ-बोली पंजाबी के लिए भी बदलाव की रचना दिखाई, परिणामतः लोकप्रिय, श्रेष्ठ, मनपसन्द कथाएँ, यादगारी चुनिन्दा कहानियों के संकलन भी तैयार होने लगे। समकालीनता का पैमाना सामने आया तो स्थिति, समाज, वातावरण, मानव-मन के साथ शिल्प, शैली का विकास भी हमने देखा। भाषा के तेवर, मुहावरे की चमक और वाक्य-विन्यास तक चौंकाने लगे। मात्र सौ—सवा सौ साल के पंजाबी कहानी के इतिहास में विविधता ही नहीं चार-पाँच पीढ़ियों का कथा संवाद भी उभरने लगता है। भारतीय कहानी के सामने आज पंजाबी कहानी, मात्र कथ्य के आधार पर ही नहीं, शिल्प, शैली, मुहावरे अथवा संरचना के हर पड़ाव पर सशक्त और सार्थक सिद्ध हुई है। साहित्य अकादेमी, नयी दिल्ली के अधिकाधिक पुरस्कार, विगत वर्षों में कथा-संग्रहों के लिए ही घोषित हुए हैं। पंजाबी का सबसे बड़ा विदेशी (प्रवासी) साहित्यिक पुरस्कार जतिन्दर हान्स के कथा संग्रह के लिए घोषित हुआ है, यह सन्तोष का विषय है।—पुस्तक की भूमिका से...
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