गोदभरी - पद्मा सचदेव की कहानियों का संसार नारी का विशेषकर मध्यवर्ग और निम्नवर्ग की भारतीय नारी का संसार है। उन्हें नारियों की आन्तरिक समस्या की गहरी समझ है। उनके प्रति उनमें एक संवेदनशील दृष्टिबोध है। यही कारण है कि पद्मा जी की कहानियों में नारी के अन्तर्द्वन्द्वों, उनकी आशा-आकांक्षाओं का हमदर्द दिग्दर्शन है। कुल ग्यारह कहानियों के इस संग्रह 'गोदभरी' में पद्मा जी का अनुभव क्षेत्र और कल्पना जगत अन्य कथाकारों से बहुत भिन्न है। अभिव्यक्ति का रंग भी उनका अपना है, निराला है। पद्मा सचदेव का नाम डोगरी कहानी के क्षेत्र में प्रभावपूर्ण ढंग से उभरकर आया है। डोगरी की तरह उनकी हिन्दी कहानियों में भी नयी मानसिकता और नयी संवेदन-शक्ति का संचार हुआ है। कहना होगा कि कहानियों का तानाबाना, चरित्र चित्रण और परिवेश डोगरा विशेष होकर भी उनमें सँजोयी अनुभूति की सघनता अपनी कलात्मकता में उन्हें सार्वभौमिक बना देती है। उन्हीं के अनुसार, "ये कहानियाँ जम्मू की ही नहीं, उन पात्रों की भी हैं जो मुझे शहर से बाहर मिले। इनका जामा डोगरी-हिन्दी दोनों में रहा... पर कहानी रही उन्हीं पात्रों की जो मेरे देश के अपने हैं।"
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