भगवान महावीर - भगवान महावीर बचपन से ही तेजस्वी थे। वे अहिंसा के प्रबल पक्षधर थे। उनमें सभी प्राणियों के प्रति बचपन से ही अत्यन्त दयाभाव था। अहिंसा का महत्त्व जैन धर्म एवं संसार के सभी धर्मों में व्याप्त है। तीर्थंकर महावीर ने पाँच महाव्रतों का पालन करने की शिक्षा दी, जिसमें ब्रह्मचर्य, सत्य, अपरिग्रह, यानि आवश्यकता से अधिक इकट्ठा न करना और अचौर्य यानि चोरी न करने की शिक्षाएँ शामिल हैं। जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की जीवन कथा को प्रभाकिरण जैन ने बहुत ही मनोयोग से लिखा है। यह पुस्तक भगवान महावीर के जीवन को बहुत ही सरल शब्दों में प्रस्तुत करती है।
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