कोई हिन्दी कवि-कथाकार या पत्रकार सामान्य धावक बनने की भी सोचे, यह एक दुर्लभ स्थिति होती है। और फिर दक्षिण अफ्रीका की 90 किलोमीटर की विश्वविख्यात कॉमरेड मैराथन में सफलतापूर्वक भागीदारी, वह तो कल्पनातीत ही है!! लेकिन हिन्दी के यशस्वी साहित्यकार सुन्दर चन्द ठाकुर ने यह अविस्मरणीय कारनामा कर दिखाया। स्वाभाविक रूप से इस तरह वह कॉमरेड मैराथन पूरी करनेवाले एकमात्र भारतीय लेखक होने का कीर्तिमान अपने नाम कर चुके हैं।
यह कृति कई मायनों में अनुपम है। विभिन्न विधाओं में आवाजाही करती और कथेतर गद्य का अनूठा आस्वाद देती इस किताब में मैराथन दौड़ने की बारीक बातें तो हैं ही, जीवन दर्शन की बड़ी बातें भी सहजता से शामिल हैं। इस एक ही कृति में कई-कई मैराथन हैं, किस्से पर किस्से हैं, कथा किरदारों की तरह दोस्तों की मौजूदगी है, हास्य बोध के साथ मध्यवर्गीय जद्दोजहद है और जीवन के कितने ही खट्टे-मीठे अनुभव हैं। यह किताब ज़िन्दगी को आनन्द से जीने के कई नायाब सूत्र देती है और कवियों-लेखकों-पत्रकारों से गुज़ारिश करती है कि महज़ 'काग़ज़ी धावक' नहीं, रियल में भी रनर बनो।
- हरि मृदुल,
कवि-कथाकार, पत्रकार
܀܀܀
जीवन क्या है? जीवन की उपलब्धियाँ क्या हैं? जीवन के संघर्ष, उसकी सीमाएँ, उसकी अनन्तता क्या है? जब मनुष्य इन प्रश्नों पर विचार करता है तो यह वह स्थिति होती है जो उसे आत्मकेन्द्रित करती है। इस स्थिति में मनुष्य स्वयं से संवाद करता है। कभी खुद को परिष्कृत करता है तो कभी स्वयं को नकार भी देता है।
इसी प्रक्रिया के द्वारा ही मनुष्य उन बिन्दुओं पर अपना ध्यान लगाता है जहाँ वह अपने विचारों को टटोलता हुआ बाहरी प्रभावों और दबावों से स्वयं को मुक्त करता है। जिस समय मनुष्य अपने आन्तरिक बन्धनों से मुक्त होता है उसी समय उसके भीतर एक नवीन और परिष्कृत मानव की निर्मिति होती है।
सुन्दर चन्द ठाकुर की कृति 'ख़ुद से जीत' उन्हीं स्वप्नों पर जीत की कथा है जिन्हें एक सचेत मानव ही अपने साहस और बौद्धिक बल से हकीकत में बदल पाता है।
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