सत्यवती मलिक की कहानियाँ भाषिक संरचना की दृष्टि से हिन्दी की आरम्भिक आधुनिक कहानियाँ कही जाएँगी। इसलिए भी कि उनमें बृज या अवधी या पूर्वीय लोक बोलियों की सरसता की जगह पंजाबी या कश्मीरी लोकवृत्त की उदारता लक्षित होती है । उनमें स्पष्टता, बेबाकपन और स्वच्छन्दता की ऐसी भावलहरी प्रतिबिम्बित होती है जो उन कथाओं को मुख्यधारा की समानान्तरता प्रकट करती है। बीसवीं शताब्दी में विषयों के वैविध्य से सम्पन्न कथाकारों ने ही नयी कथाप्रवृत्तियों की शुरुआत की है। सत्यवती मलिक की कथाओं की मुख्य कथाभूमि भारतीय समाज में परिवार का बहुविध महत्त्व तो प्रतिपादित करती ही है किन्तु वे अपने अन्तर्निहित संकेतों में उन तमाम समस्याओं की ओर भी इंगित करती हैं जिन्होंने दासता की यथास्थिति को मजबूत किया है। उनकी कहानियों में प्रकृति के साथ उनका आत्मिक सम्बन्ध व ऐसे भारतीय संस्कार का वातावरण देखने को मिलता है जिसमें स्त्रियों के प्रति मार्मिकता और संवेदनशीलता विशेष रूप से झलकती है। इस क्षेत्र में भी सत्यवती मलिक के योगदान की उपेक्षा नहीं की जा सकती क्योंकि स्वाधीनता संग्राम के मोर्चे पर वे कलम के सिपाहियों की सेना का प्रतिनिधित्व करती दिखाई देती हैं।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review