Nirvasan

Hardbound
Hindi
9789350725924
1st
2014
256
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तसलीमा नसरीन की आत्मकथा 'निर्वासन' एक स्त्री का दिल दहला देने वाला ऐसा सच्चा बयान है जिसमें वह खुद को अपने घर वंग्लादेश, फिर कलकत्ता (पश्चिम बंगाल) और बाद में भारत से ही निर्वासित कर दिए जाने पर, दिल में वापसी की उम्मीद लिए पश्चिमी दुनिया के देशों में एक यायावर की तरह भटकते हुए अपना जीवन बिताने के लिए मजबूर कर दिए जाने की कहानी कहती है। इसमें उन दिनों में लेखिका के दर्द, घुटन और कशमकश के साथ धर्म, राजनीति और साहित्य की दुनिया की आपसी मिलीभगत का कच्चा चिट्ठा सामने आता है। कई तथाकथित सम्भ्रान्त चेहरे बेनकाव होते हैं।

वंग्लादेश में जन्मी लेखिका तसलीमा नसरीन, जो मत प्रकाश करने के अधिकार के पक्ष में पूरे विश्व में एक आन्दोलन का नाम हैं और जो अपने लेखन की शुरुआत से ही मानवतावाद, मानवाधिकार, नारी-स्वाधीनता और नास्तिकता जैसे मुद्दे उठाने के कारण धार्मिक कट्टरपंथियों का विरोध झेलती रही हैं, की आत्मकथा के तीसरे खण्ड- 'द्विखण्डतो' पर केवल इस आशंका से कि इससे एक सम्प्रदाय विशेष के लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो सकती हैं, पश्चिम बंगाल की सरकार ने प्रतिबन्ध लगा दिया। पूरे एक साल नौ महीने छब्बीस दिन निषिद्ध रहने के बाद, हाईकोर्ट के फैसले पर यह पुस्तक इस प्रतिबन्ध से मुक्त हो सकी। पश्चिम बंगाल और वंग्लादेश में अलग-अलग नामों से प्रकाशित इस पुस्तक के विरोध में उनके समकालीन लेखकों ने कुल इक्कीस करोड़ रुपये का दावा पेश किया। पर यह सब कुछ तसलीमा को सच बोलने और नारी के पक्ष में खड़ा होने के अपने फैसले से डिगा नहीं सका। 'निर्वासन भी इसी की एक बानगी है।

तसलीमा का लेखन मात्र लेखन नहीं है बल्कि धर्मान्ध कट्टरपंथियों से लड़ने का एक कारगर हथियार है। उन्होंने अपने जीवन में खुद को जलाकर अँधेरे रास्ते को रोशन किया है, मैं उन्हें सलाम करती हूँ।

इस अनुवाद को हिन्दी में पठनीय और प्रवाहमय बनाने में अपने सम्पादन से विवेक मिश्र ने जो सहयोग किया है, उसके लिए उनका आभार। तसलीमा व अरुण माहेश्वरी ने इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए मुझ पर भरोसा किया उसके लिए मैं उन दोनों की भी हृदय से आभारी हूँ ।

- अमृता वेरा

अमृता बेरा (Amrita Bera)

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तसलीमा नसरीन (Taslima Nasrin)

तसलीमा नसरीन तसलीमा नसरीन ने अनगिनत पुरस्कार और सम्मान अर्जित किये हैं, जिनमें शामिल हैं-मुक्त चिन्तन के लिए यूरोपीय संसद द्वारा प्रदत्त - सखारव पुरस्कार; सहिष्णुता और शान्ति प्रचार के लिए

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