मूलतः यह किताब राजेश्वर के कला-प्रेम का परिणाम है। उनकी रुचि न सिर्फ चित्रकला में है बल्कि वे अन्य कलाओं में भी आवाजाही करते हैं। पुस्तक में कलाकारों से बातचीत और कुछ समान प्रश्नों के जवाब से उनकी कला–यात्रा, संस्मरण और दुनियावी समझ को बटोरा गया है। राजेश्वर का यह प्रयास कुछ मायनों में अनूठा है। पहला तो यही कि कला की दुनिया में युवाओं पर एकाग्र यह पहली पुस्तक होगी। अभी तक मेरी नज़र में ऐसी कोई पुस्तक छपी नहीं है। यह पुस्तक रुचि को सम्बोधित है। इन युवा कलाकारों की कलाकतियों की तरफ दर्शक का ध्यान दिलाने का छोटा-सा मगर सार्थक प्रयास राजेश्वर ने किया है। राजेश्वर कलाकारों से उनके स्टूडियो में जाकर मिले, उनसे बातचीत की और उनका स्वभाव समझते हुए उससे उपजे प्रश्नों से कलाकार के रचनात्मक मन को टटोलने की कोशिश की। इसमें कुछ सफल भी हुए और हमें इन बारह कलाकारों के विचारों में विरोधाभास, अलगाव और साम्यता भी दिखायी देती है। राजेश्वर ने जिस धैर्य और निरन्तरता से इस पर काम किया है वो सराहनीय है और इस उम्मीद का इशारा भी है कि वे इसे जारी रखेंगे। इस पुस्तक में बारह कलाकार हैं जो इन दिनों मध्य प्रदेश के चित्रकला संसार के युवा हस्तक्षेप हैं। इन बारह कलाकारों में एक कलाकार जयपुर, राजस्थान से हैं-अमित हरित। यह पुस्तक इन युवा कलाकारों के भीतर झाँकने का मौका देती है। बहुत खूबसूरत तरीके से राजेश्वर यह सब कर सके और हमें इन कलाकारों के रचने, गढ़ने, पढ़ने, भटकने, मटकने, आत्मरति और दुनिया के साथ उनका सम्बन्ध जानने का मौका मिलता है। - अखिलेश
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