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पाकिस्तानी स्त्री : यातना और संघर्ष

Hardbound
Hindi
9789350001745
2nd
2014
पाकिस्तानी स्त्री की यातना और संघर्ष पर केंद्रित इस पुस्तक के लेखों में उस औरत की समस्याएँ और मुद्दे विमर्श का मुद्दा बने हैं जो कभी आसमानी हवाओं से बहकाई गई तो कभी जमीनी संहिताओं से दहलाई गई । जमाने की बदलती हुई हवाओं ने उस औरत के जेहन पर जमी हुई सदियों की गर्द को साफ करना शुरू कर दिया है : आज उसके जेहन में एक सौ एक खयाल और एक हजार एक सवाल हैं। दरअसल, इस दूर तक फैली जमीन पर सारी रौनक उसी के दम से है, वरना आदम का इरादा तो यह था कि खुदा के बंदे खुदा के हर हुक्म पर सर झुकाते हुए बागे-अदन यानी जन्नत के बाग़ में जिन्दगी कभी न खत्म होनेवाले समय तक गुजार दी जाए। यह हव्वा थी जिसके अंदर जिज्ञासा थी, जिसने साँप के रूप में आनेवाले इब्लीस (शैतान) से संवाद किया। अच्छे-बुरे की पहचान करानेवाले पेड़ का फल खुद खाया और आदम को भी खिलाया। उसके विकास की कहानी मानव सभ्यता के विकास की कहानी है। लेकिन धरती पर आ कर आदम और हौवा का हश्र अलग-अलग क्यों हो गया? पाकिस्तान की विख्यात कथाकार और राजनीतिक टिप्पणीकार जाहिदा हिना के ये लेख इसी ट्रेजिक सचाई की तहकीकात करते हैं। बेशक संदर्भ पाकिस्तान की आम स्त्रियों की यातनाओं और संघर्षों का है, लेकिन यह लोमहर्षक कहानी भारत की भी है, बांगलादेश की भी और एक तरह से सारी दुनिया की है।

ज़ाहिदा हिना Zahida Hina

विभाजन से कुछ ही पहले बिहार के ज़िला सासाराम में जन्मी उर्दू की अति चर्चित संघर्षशील साहसी लेखिका ज़ाहिदा हिना का पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से कराची में हुई। माता-पिता के पाकिस्तान

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