Raajneeti Ke Kavitatv

Hardbound
Hindi
9789352293711
1st
1999
160
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राजनीति के कवित्त -
कवि देवीदास हिन्दी के उन क्रान्तिकारी कवियों में हैं जिनके विषय में हिन्दी-साहित्य-इतिहास ग्रन्थों में समुचित मात्रा में सूचना उपलब्ध नहीं है। उपलब्ध सामग्री भी बिखरी-बिखरी, अनमेल है। उनकी रचना युग से इतने आगे है कि उसका मूल्यांकन भी नहीं किया जा सका। भक्तिकाल के अन्तिम पर्व में जब अचानक कवि दरबारों की ओर खिंचते हुए राजाओं के गुणकीर्त्तन और सुन्दरियों के नाकनक्श की कमनीयता बखानने में ही कवि कर्म की सफलता समझने लगे थे, तब उस युग में राजाश्रय को ठोकर मारते हुए सामान्य जनजीवन की समस्याओं को लेते हुए; उनके हल का एकमात्र उत्कृष्ट साधन राजनीति को ही मानते हुए; कवि देवीदास ने राजाओं के लिए राजनीति के पाठ तो रचे ही; साधारण जनता को भी राजनीति के गुरुओं से दीक्षित करने की कोशिश की।

प्रस्तुत रचना-राजनीति के कवित्त-में विविध हस्तलेखों की तुलनात्मक समीक्षा के आधार पर पाठ वैज्ञानिक निकष पर कसे हुए उनके कवित्तों के प्रामाणिक पाठ प्रस्तुत किये गये हैं। जिनसे हिन्दी साहित्य के मध्यकाल की मान्यताओं को एक ज़ोरदार झटका लगता है। उसे रीति श्रृंगार मात्र की समझने-समझाने की सीमा अपने आप चटक जाती है।

महेन्द्र नाथ दुबे (Mahendra Nath Dubey)

'राजनीति के कवित्त'-रचना का पाठवैज्ञानिक सम्पादन किया है डॉ. महेन्द्र नाथ दुबे ने। छात्र जीवन में पं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के निर्देशन में सम्पादित होनेवाले 'रामचरितमानस' के काशिराज संस्करण

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