यह किताब क्यों ?
भारत के 75 साल के जवां लोकतन्त्र के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव इसलिए अहम है क्योंकि 2014 में प्रचंड बहुमत की सरकार ने 2019 में विमर्श दिया कि उसका कोई विकल्प नहीं हो सकता है । गठबन्धन सरकार को भारतीय लोकतन्त्र का सबसे बड़ा खलनायक बना कर उसका मर्सिया पढ़ दिया गया। इसके साथ ही बजरिए राहुल गांधी विपक्ष की पूरी अवधारणा को ही खारिज किया गया । राजनीति में दस साल का समय बहुत लम्बा नहीं तो बहुत छोटा भी नहीं होता है। इस समावेशी समय में ही जनता ने प्रचंड बहुमत वाली सरकार की अति के अन्त का सन्देश दे दिया। राहुल गांधी की अगुआई में मोदी सरकार को राजगर सरकार बना दिया। इसके साथ ही जनता ने उस नेता की न्याय यात्रा को पूरा न्याय दिया जिन्हें भाजपा की सरकार और उससे जुड़े प्रचार ने 'पप्पू' साबित कर दिया। दलबदल करने वाले नेताओं को हार का सन्देश देते हुए नफरती भाषणों को नमस्ते कह कर नेता मोहब्बत वाला को विपक्ष का नेता बना दिया। जब नेता लोकतन्त्र की राजनीति भूल जाते हैं तो जनता उसे लोकतन्त्र की पाठशाला में वापस ले ही आती है । जनता की पाठशाला से पास हुए राहुल गांधी के साथ भारतीय लोकतन्त्र के दस साला सफ़र को समझने की कोशिश में यह किताब अब आपके हवाले ।
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