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Rashtriya Swayamsevek Sangh : Ateet Aur Bhavishya

Hardbound
Hindi
9789357756532
1st
2024
226
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1925 में बना 'संघ' 2025 में अपनी स्थापना के सौ साल पूरे करने जा रहा है।
डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 23 अप्रैल 1940 के दिन पुणे में 'अधिकारी शिक्षण वर्ग' में स्वयंसेवकों को अपने जीवन का अन्तिम बौद्धिक देते हुए कहा था कि, "संघ को जो सफलता मिल रही है, वह स्वयंसेवकों की निष्ठा और संघ के प्रति समर्पण के बल पर मिल रही है। संघ के सभी काम आपसी सामंजस्य से होना चाहिए। हमारे पास कोई और शक्ति नहीं है, हमारे पास सिर्फ़ नैतिक और चारित्रिक शक्ति है जिसके दम पर हम अपना काम कर रहे हैं और आगे भी करेंगे।" डॉ. हेडगेवार के विचार संघ के जीवन का सार हैं।
इस किताब में डॉ. हेडगेवार के जीवन, संघ की स्थापना, गुरु जी गोलवलकर का संघ के विस्तार में योगदान और संघ पर प्रतिबन्ध के बाद उनके और सरदार पटेल के बीच हुए पत्र-व्यवहार और संघ के संविधान के निर्माण और इसके आनुषंगिक संगठनों की जानकारी उपलब्ध कराने की कोशिश की गयी है। मेरी कोशिश रही है कि संघ को लेकर जितने भी प्रश्न हो सकते हैं, उन सभी प्रश्नों के उत्तर सुधी पाठकों को दे सकूँ। संघ पर यह किताब संघ के प्रति मेरी समझ के आधार पर लिखी गयी है। मैं इसको पूरी तरह समझने का दावा नहीं कर सकता । संघ के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार ने कभी नहीं कहा कि वे संघ को पूरी तरह समझ सकते हैं। संघ के सबसे लम्बे समय तक सरसंघचालक रहे गुरु जी गोलवलकर ने अपने अन्तिम दिनों में कहा था कि, “शायद मैं संघ को समझने लगा हूँ।"

तीन दशकों तक संघ को क़रीब से देखने के बाद मैंने यह किताब लिखी है। उम्मीद है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर पाठकों की सभी जिज्ञासाओं और प्रश्नों के उत्तर इस किताब में मिल सकेंगे।

- लेखक

समीर चौगाँवकर (Sameer Chougaonkar)

समीर चौगाँवकरदो दशक से ज़्यादा समय तक प्रिंट मीडिया में सक्रिय। उम्र के 28वें साल में 'ग्रामीण प्रवन्धन' पर लिखी गयी किताव जीवाजी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल हो चुकी है। महाराष्ट्र

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