• New

Premchand : Stree Jeevan Ki Kahaniyan

Paperback
Hindi
9789357755863
1st
2024
424
If You are Pathak Manch Member ?

प्रेमचन्द : स्त्री जीवन की कहानियाँ -

भारत जैसे देशों के विषय में कार्ल मार्क्स ने कभी कहा था, "वहाँ स्त्रियाँ दोहरे शोषण की शिकार हैं।" प्रेमचन्द के समय और सन्दर्भ में इस कथन की व्याख्या स्वयं सिद्ध है। उन दिनों भारतीय स्त्रियों का शोषण विदेशी निज़ाम और देशी सामन्तवाद-दोनों के द्वारा हो रहा था । प्रेमचन्द ने बहुत बारीकी से इस तथ्य को समझा था। उनके लेखन में स्त्रियों की समस्याएँ और उनका दमित जीवन बहुत सहानुभूति के साथ चित्रित है। जिन खोखली मर्यादाओं पर हमारा समाज टिका है, उसकी प्रेमचन्द ने कटु आलोचना की। उनकी सुधारवादी चेतना में सामाजिक आलोचना निहित है।

कहा जाता था कि तलाक़ की अवधारणा भारतीय समाज के लिए उपयुक्त नहीं है। कहने का आशय यह कि भारतीय समाज स्त्री के शोषण पर मौन रहता है, लेकिन ज्यों ही वह मुक्त होना चाहती है, विरोध के स्वर भी ऊँचे होने लगते हैं। चूँकि प्रेमचन्द अपने समय में स्त्रियों की समस्या पर गम्भीरता से विचार करनेवाले लेखक थे, इसलिए उन्होंने लोक-मान्यताओं का जमकर खण्डन किया।

इस पुस्तक में प्रेमचन्द की स्त्री-जीवन से जुड़ी कहानियों का संकलन किया गया है। अपनी तमाम पीड़ा और शोषण के साथ स्त्रियाँ इन कहानियों में उपस्थित हैं। वर्तमान समय में मुक्ति की आकांक्षा पाले स्त्रियों के लिए प्रेमचन्द की ये कहानियाँ प्रेरणास्रोत की तरह हैं और उस लड़ाई की नींव भी जिसे वे लड़ रही हैं।

रवीन्द्र कालिया (Ravindra Kalia)

रवीन्द्र कालिया जन्म : जालन्धर, 1938निधन : दिल्ली, 2016रवीन्द्र कालिया का रचना संसारकहानी संग्रह व संकलन : नौ साल छोटी पत्नी, काला रजिस्टर, गरीबी हटाओ, बाँकेलाल, गली कूचे, चकैया नीम, सत्ताइस साल की उम

show more details..

जितेन्द्र श्रीवास्तव (Jitendra Shrivastav)

जितेन्द्र श्रीवास्तवजन्म : उत्तर प्रदेश के देवरिया में।प्रकाशन : इन दिनों हालचाल, अनभै कथा, असुन्दर सुन्दर (कविता); भारतीय समाज की समस्याएँ और प्रेमचन्द, भारतीय राष्ट्रवाद और प्रेमचन्द, शब्द

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

Related Books

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter