Brahmaputra Ke Kinare Kinare

Paperback
Hindi
9789326354295
4th
2024
344
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ब्रह्मपुत्र के किनारे किनारे -

ब्रह्मपुत्र ने असम का भूगोल ही नहीं रचा, इसके इतिहास को भी आँखों के आगे से गुज़रते देखा है। इसकी घाटी में ही कामरूप, हैडम्ब, शेणितपुर, कौण्डिल्य राज्य पनपे। इसने भौमा, वर्मन, पाल, शालस्तम्भ, देव, कमता, चुटिया, भूयाँ कोच वंशीय राज्यों को बनते-बिगड़ते देखा है। इसके देखते-देखते ही पूर्वी पाटकाई दरें से आहोम यहाँ आये। इसके किनारे ही मुग़लों को करारी मात खानी पड़ी।

इसी घाटी में शंकरदेव, माधवदेव, दामोदरदेव जैसे अनेक सन्त हुए। शैव, शाक्त, वैष्णव, बौद्ध, जैन, सिख धर्मों के मन्दिर, सत्र, स्तूप, गुरुद्वारे ही नहीं, दरगाह-मस्जिदें और चर्च भी इसके तटों पर खड़े हैं। यहाँ बसन्त का आगमन बिहू-गीतों के साथ होता है। किनारे पर बसी विभिन्न जनजातियाँ अपने-अपने रीति-रिवाज़ों, भाषाओं, आस्थाओं और लोकनृत्यों से इसकी घाटी को अनुगुंजित करती रहती हैं।

इस प्रकार कृतिकार ने ब्रह्मपुत्र के बहाने अपने इस यात्रावृत्त में असम की पौराणिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक झाँकी ही प्रस्तुत कर दी है।

निःसन्देह इस पुस्तक का कई अर्थों में अपना वैशिष्ट्य है। असम के बारे में जो भ्रान्त धारणाएँ लोगों के मन में घर किये हैं, इसके अध्ययन से वे निश्चित ही दूर होंगी और इस कामरूप के प्रति एक आत्मीय भाव पैदा होगा, एक आस्था उपजेगी।

पूर्वोत्तर भारत, विशेषकर असम के रमणीय क्षेत्रों को समझने में यह कृति विशेष उपयोगी सिद्ध होगी।

सांवरमल सांगानेरिया (Saanvarmal Saanganeriya )

सांवरमल सांगानेरिया जन्म : 3 अक्टूबर 1945 ।शिक्षा : गुवाहाटी कॉमर्स कॉलेज से बी.कॉम, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा से कोविद ।बचपन से लेखन के प्रति झुकाव और यात्राएँ करने का शगल। लेखन के शौक़ के

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