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Mookmati Mein Kala aur Vigyan

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Hindi
176
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प्रख्यात विदुषी डॉ. नीलम जैन ने मूकमाटी महाकाव्य में निहित कला एवं विज्ञान सम्बन्धी प्रसंगों का अति सूक्ष्मता एवं गहनता से विवेचन किया है।
मूकमाटी में साधारण सी प्रतीत होने वाली माटी के माध्यम से साधारण स्तर से उठना और सर्वोत्कृष्ट बिन्दु पर प्रतिष्ठापना, जीवन के मर्म का हृदयंगम साथ ही तप, समर्पण, लोककल्याण और उत्सर्ग के मार्ग को भी स्पष्ट किया गया है। माटी के अन्दर ऐसा गुण है जो किसी के गुण को नष्ट नहीं करती अपितु यथासम्भव बीज के गुण को निखारती है, अमृतत्व प्रदान करती है इसी माटी को प्रमुख पात्र बनाकर मूकमाटी में रचनात्मक रमणीयता एवं जीवन उत्थान की सूत्रात्मक भव्यता का भाषिक प्रस्तुतीकरण है। इसे अपनी चमत्कारिणी अभिज्ञान-प्रज्ञा से आचार्य श्री विद्यासागर ने मौलिक वैशिष्ट्य से अभिमण्डित किया है । कृति जीवन को परिष्कृत एवं सांस्कृतिक बनाने में सक्षम है।

- प्रकाशक

डॉ. नीलम जैन (Dr. Neelam Jain)

डॉ. नीलम जैन शिक्षा : एम. ए., पी-एच.डी. । यूरोप, अमेरिका आदि विश्व के अनेक देशों की साहित्यिक यात्राएँ। स्टेट यूनिवर्सिटी अमेरिका की विजिटिंग स्कॉलर । जैन दर्शन एवं रामकथा विशेषज्ञ के रूप में अन

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