अक्करमाशी' के दिल को दहला देने वाले आत्मकथात्मक अनुभव की अभिव्यक्ति के खतरे उठाने के बाद डॉ. शरणकुमार लिंबाले के विद्रोही रचनाकार ने दलित चेतना के विस्फोटक अनुभवों को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की वैचरिक बुनियाद के आधार पर कहानियों के माध्यम से जो अभिव्यक्ति दी उसका नाम है छुआछूत; अवमानना, अन्याय, अत्याचार और शोषण के जिन अमानुष अनुभवों से रचनाकार गुजरा उन्हें और उनके समय की समकालीनता को उसने एक खास क्रांतिकारी नज़रिये से रचा और सामाजिक यथार्थ की ओर देखने के लिए पाठक को विवश किया। ये कहानियाँ दलित क्रांति की चिंगारियाँ हैं और इनकी मूल भाषा की आग और धार को अनुवाद में भरसक बरकरार रखने की कामयाब कोशिश ज्येष्ठ अनुवादक निशिकांत ठकार ने दी है।
- चंदकांत पाटील
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review