Aadhunik Hindi Aalochana Ke Beej Shabd

Paperback
Hindi
9789350728239
5th
2023
152
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इस कोश का निर्माण स्वान्तःसुखाय या अपनी समझदारी को धारदार बनाने के लिए हआ है। अपनी समझदारी दूसरों की समझदारी के साथ विकसित होती है। अतः इससे दूसरों की समझदारी भी विकसित होगी। हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में इन शब्दों का प्रयोग जिस ढंग से हो रहा है वह प्रायः प्रयोक्ताओं के अधकचरे ज्ञान का सूचक है। अतः यह कोश उनके ज्ञान के सुचिन्तित विकास में एक महत्त्वपूर्ण रोल अदा कर सकता है। इस विषय पर मैं 6-7 वर्षों से काम करता हूँ-अव्याहत गति से नहीं, अनेक व्यवधानों के बीच रुक-रुककर, ठहर-ठहर कर। यों यह कार्य कुछ पहले पूरा हो गया होता यदि कवि केदारनाथ सिंह ने बाधा न उपस्थित की होती। उन्होंने मेरा ध्यान रेमंड विलियम्स की ओर आकृष्ट किया और शब्दों के ऐतिहासिक क्रम विकास को शामिल करने की सलाह दी। पत्र-पत्रिकाओं की फ़ाइलें उलटे बिना यह सम्भव नहीं था। सही कालांकन की समस्या और भी गम्भीर थी। फिर भी यथाशक्ति इस दिशा में प्रयास किया गया है। पुस्तक का नामकरण भी केदारनाथ सिंह जी ने ही किया है। प्रोफेसर नामवर सिंह के सुझावों से भी मैं लाभान्वित हुआ हूँ। दोनों ही व्यक्तियों का आभारी हैं। प्रेस-कापी तैयार करने में श्री प्रमोद कुमार ने जो सहायता की है उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। -बच्चन सिंह

बच्चन सिंह (Bachchan Singh)

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