Aakhiree chattan tak

Mohan Rakesh Author
Hardbound
Hindi
9789355189325
3rd
2023
112
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आख़िरी चट्टान तक - 'आख़िरी चट्टान तक' बहुआयामी रचनाकार मोहन राकेश का यात्रावृत्तान्त है। दिसम्बर 1952 से फ़रवरी 1953 के बीच मोहन राकेश ने गोवा से कन्याकुमारी तक की यात्रा की थी। इस यात्रा ने लेखक के मन पर बहुत प्रभाव डाला और यात्रा की स्मृतियाँ उनके मन में संचित हो गये थे। विलक्षण कथाकार मोहन राकेश ने इस संचित सामग्री को कई आयामों में पाठकों के लिए प्रस्तुत किया। उन्होंने इस यात्रा संस्मरण में मनुष्य, प्रकृति और विराट जीवन के माध्यम से अनूठे बिम्बों की रचना की और इन्हें विवेचन की तरह बरतते हुए 'आख़िरी चट्टान तक' की रचना की है। अपनी यात्रा के दौरान प्रकृति को क़रीब से देखते हुए वे कई बार भावुक हुए। यात्रा से उपजी स्वाभाविक ‘अतिरिक्त भावुकता’ को लिखते समय यह तटस्थता में परिवर्तित हो गयी और मोहन राकेश ने यात्रा का गत्यात्मक मूल्यांकन प्रस्तुत किया। पुस्तक अपने आप में ऐसा रोचक अनुभव है कि इसे पढ़ते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि हम एक विलक्षण बुद्धिजीवी की बाह्य और अन्तर्यात्रा के सहयात्री हैं। हिन्दी साहित्य में 'घुमक्कड़ शास्त्र' की कमी अक्सर ही अनुभव की जाती है। मोहन राकेश अपने इस वृत्तान्त में यात्री, यायावर और घुमक्कड़ की भूमिका में एक साथ दिखाई देते हैं।

मोहन राकेश (Mohan Rakesh)

मोहन राकेश जन्म : 8 जनवरी, 1925; जडीवाली गली, अमृतसर (पंजाब) |शिक्षा : संस्कृत में शास्त्री, अंग्रेज़ी में बी. ए. । संस्कृत और हिन्दी में एम. ए. ।जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला, जालन्धर और दिल्ली में अ

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