निदा फ़ाज़ली सही मायनों में अवाम के शायर हैं। उनकी शायरी में जो फ़कीराना ठाठ है, वो ठाठ उनके अन्दर के लोककवि की संवेदना को भी महसूस कराता है। यह शे’र वही शायर कह सकता है, लोककवि जिसकी रचनाशीलता में हो- दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है सोच-समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला! निदा फ़ाजली की शायरी में भारतीय जनमानस के सुख-दुख बसते हैं। निदा फ़ाज़ली की शायरी से गुज़रना लोकजीवन, दीन-दुनिया, स्मृतियों और नये-पुराने समय से गुफ़्तगू करने जैसा है। निदा ऐसे बड़े शायर हैं जो अपनी शायरी में ज़िन्दगी के वैभव को रचते हैं। यह किताब निदा फ़ाज़ली की शायरी का महकता हुआ, ताज़ादम और सर्वश्रेष्ठ गुलदस्ता है।
ज्ञानप्रकाश विवेक (Gyanprakash Vivek)
ज्ञानप्रकाश विवेक
जन्म : 30 जनवरी 1949 (बहादुरगढ़)।तैंतीस वर्ष तक एक साधारण बीमा कम्पनी में नौकरी और सेवानिवृत्ति के बाद पूर्णकालिक लेखन ।प्रकाशित पुस्तकें : उपन्यास : गली नम्बर तेरह, दिल्ली दरव
निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में और प्रारम्भिक जीवन ग्वालियर में गुज़रा। ग्वालियर में रहते हुए उन्होंने उर्दू अदव में अपनी पहचान बना ली थी और बहुत जल्द वे उर्दू की साठोत्तरी पी