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निदा फ़ाज़ली

निदा फ़ाज़ली का जन्म 12 अक्तूबर 1938 को दिल्ली में और प्रारम्भिक जीवन ग्वालियर में गुज़रा। ग्वालियर में रहते हुए उन्होंने उर्दू अदव में अपनी पहचान बना ली थी और बहुत जल्द वे उर्दू की साठोत्तरी पीढ़ी के एक महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में पहचाने जाने लगे। निदा फ़ाज़ली की कविताओं का पहला संकलन लफ़्ज़ों का पुल छपते ही उन्हें भारत और पाकिस्तान में जो ख्याति मिली वह विरले ही कवियों को नसीब होती है।
गद्य की किताब मुलाक़ातें के लिए वे काफ़ी विवादास्पद और चर्चित रह चुके थे। खोया हुआ सा कुछ उनकी शाइरी का एक और महत्त्वपूर्ण संग्रह है। सन् 1999 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार खोया हुआ सा कुछ पुस्तक पर दिया गया है। उनकी आत्मकथा का पहला खण्ड दीवारों के बीच और दूसरा खण्ड दीवारों के बाहर बेहद लोकप्रिय हुए हैं। फ़िल्म उद्योग से भी सम्बद्ध रहे। भारत सरकार ने 2013 को पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा।
'तू इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में शामिल है', 'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता' और 'होश वालों को ख़बर क्या' जैसे पचासों चर्चित गाने फ़िल्मों के लिए लिखे ।
सम्पर्क : बी-201, सनराइज, आराम नगर 2, अपोजिट डीसीबी बैंक, फिशरीज यूनिवर्सिटी
रोड, वर्सोवा, अन्धेरी (प.), मुम्बई - 400061
उनकी मृत्यु 8 फ़रवरी 2016 को हृदय गति रुकने से मुम्बई में हुई ।