उपन्यास औरंगजेब को इतिहास प्रसिद्ध खलनायक की जगह ऐसे विद्रोही नायक के रूप में प्रस्तुत करता है जो पिता शाहजहाँ की उपेक्षा, पक्षपात और भाई दाराशिकोह व बहन जहाँनारा की कथित ईर्ष्या और षड्यन्त्रों के चलते उदंड हो गया है। उपन्यास को रोचकता के साथ तथ्यात्मकता भी प्रदान की है।
-इंडिया टुडे (हिन्दी)
★★★
यहाँ एक प्रेम प्रसंग के जरिए औरंगज़ेब की मानसिक अवस्थाओं, व्याकुलता, उद्वेग, संवेगों को रेखांकित किया गया है। उपन्यासकार का कथा-कौशल है कि उपन्यास के भीतर सर्जित परिवेश बेहद जीवन्त और ताज़ादम प्रतीत होता है। दक्कनी, राजस्थानी और हिन्दी-तीनों भाषाएँ परिवेश को सहज और विश्वसनीय बनाती हैं। तवायफ़ों द्वारा बोली जाने वाली दक्कनी इस उपन्यास की विशिष्टता कही जायेगी।
-समकालीन भारतीय साहित्य
★★★
रचना में भूत और वर्तमान की घटनाएँ साथ-साथ चलती हैं जिसके लिए लेखक ने 'स्ट्रीम ऑफ़ कॉनशसनेस' और 'फ्लेश बेक' आदि तकनीकों का उपयोग किया है। उपन्यास पठनीय है, क्योंकि यह औरंगज़ेब के एक अपरिचित पहलू से परिचित कराता है।
-नई दुनिया
शरद पगारे (Sharad Pagare)
शरद पगारे -
कुछ समय पूर्व साहित्य क्षेत्र के अत्यन्त प्रतिष्ठापूर्ण 'व्यास सम्मान' से विभूषित देश के जाने-माने ऐतिहासिक उपन्यासकार और कथाकार शरद पगारे लगभग 65 वर्षों से अनवरत लेखन कर रहे हैं।