सात सौ बीस क़दम - अमृता प्रीतम के कृतित्व का यह असाधारण गुण है, कि जब वह कविता लिखती हैं तो अपनी अनुभूति की तरलता को ऐसा रूप देती हैं जो गद्य की तरह सहजता से हृदय में उतर जाती है, और जब वह उपन्यास या कहानी लिखती हैं तो भाषा में कविता की लय लहराने लगती है। यदि उनकी अनेक कहानियों में से चुनकर श्रेष्ठ का संकलन कर लिया जाये, और वह भी स्वयं अमृता प्रीतम द्वारा, तो पाठक को पुस्तक के रूप में अमृत कलश की प्राप्त हो जाता है। उनकी चुनी हुई कहानियों का यह 'संग्रह सात सौ बीस क़दम' ऐसा ही है। अमृता प्रीतम की इन कहानियों में प्रतिबिम्बित है स्त्री-पुरुष के योग-वियोग की मर्म-कथा तथा परिवार और समाज से प्रताड़ित नारी के दर्द के बोलते चित्र। इन कहानियों को विषय-विस्तार अमृता जी के चिन्तन के विविध पक्षों को उजागर करता है। प्रस्तुत है 'सात सौ बीस क़दम' का नया संस्करण।
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